श्रीलंका की सेना ने लिट्टे चीफ प्रभाकरन के जिंदा होने संबंधी दावों का खंडन किया

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बीबीसी तमिल से बात करते हुए श्रीलंका की सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर रवि हेराथ ने कहा कि 2009 में श्रीलंकाई गृहयुद्ध के आखिरी चरण में प्रभाकरन मारे गए थे और यह बिल्कुल साफ है.

उन्होंने कहा, “18 मई 2009 को युद्ध के आखिरी दिन प्रभाकरन मारे गए थे. उनकी मौत के बाद डीएनए टेस्ट किया गया था जिससे ये पुष्टि हुई थी कि मरने वाला व्यक्ति प्रभाकरन है. इसमें किसी तरह का कोई विवाद नहीं है.”

“हम बयान (प्रभाकरन के जीवित होने को लेकर जो दावा किया गया) को लेकर चिंतित नहीं हैं क्योंकि यह गलत है.”

तमिल नेताओं का दावा

ब्रिगेडियर रवि हेराथ उन दावों का खंडन कर रहे थे जो तमिल राष्ट्रवादी नेताओं ने किया था कि प्रभाकरन जिंदा हैं.

सोमवार को तमिल नेता और लेखक पाझा नेदुमारन के नेतृत्व में तमिल राष्ट्रवादियों का एक ग्रुप ने मीडिया के सामने ये दावा किया.

ग्रुप ने मीडिया से मुलाकात श्रीलंकाई गृहयुद्ध को समर्पित एक स्मारक ‘मुलिवैक्कल मत्रम’ पर की.
उन्होंने दावा किया कि प्रभाकरन और उनका परिवार जीवित है. इस संबंध में पाझा नेदुमारन ने एक बयान पढ़ा.

बयान में कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक स्थिति और सिंहली लोगों का विरोध राजपक्षे को गद्दी से हटाने के लिए काफी था, जिसने प्रभाकरन के सामने आने के लिए माहौल तैयार किया.

उन्होंने कहा, “हमें इस खुशखबरी की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि तमिल ईलम आंदोलन के नेता प्रभाकरन जिंदा हैं और सुरक्षित हैं. हमें उम्मीद है कि इससे उनके बारे में फैलाई जा रही अटकलों और शंकाओं का अंत होगा.”

“प्रभाकरन बहुत जल्द तमिल ईलम लोगों की मुक्ति के लिए अपनी योजना की घोषणा करेंगे. हम चाहते हैं कि श्रीलंका के तमिल लोग और दुनिया भर के तमिल एक साथ आएं और उन्हें अपना पूरा समर्थन दें.”

उन्होंने कहा कि जब एलटीटीई मजबूत था तो उन्होंने उन देशों का साथ नहीं दिया था जो भारत के खिलाफ थे. ऐसे देश श्रीलंका में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते थे. प्रभाकरन इस बात को लेकर दृढ़ थे कि वे ऐसे किसी भी देश से मदद नहीं मांगेंगे जो भारत विरोधी हो.”

“अब हम देखते हैं कि चीन श्रीलंका में अपना दबदबा कायम कर रहा है और वह इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहा है. एक खतरा यह भी है कि चीन हिंद महासागर पर अपना दबदबा जमाने के लिए सामने आ सकता है. ऐसे में भारत को इसे रोकने के लिए कदम उठाए चाहिए.”

लिट्टे के अंतिम दिन और प्रभाकरन की मौत

18 मई 2009 को श्रीलंका की सेना ने ऐलान किया था कि लिट्टे के नेता प्रभाकरन की मौत हो गई है.
ये श्रीलंका की सेना और लिट्टे के बीच अंतिम चरण की लड़ाई का अंतिम दिन साबित हुआ था.
शुरुआत में सेना ने कहा था कि प्रभाकरन की मौत उस समय हुई जब वो एक एंबुलेंस में सवार होकर फ़रार हो रहे थे.

लेकिन बाद में सेना ने कहा कि प्रभाकरन का शव नंतीकदाल तट पर पाया गया था और उन्हें गोली लगी थी.

तमिल टाइगर्स ने उस समय प्रभाकरन की मौत का खंडन किया था और कहा था कि उनके नेता जीवित और सुरक्षित हैं.

हालांकि एक सप्ताह बाद टाइगर्स ने एक बयान जारी कर कहा कि उनके ‘अतुलनीय नेता’ ‘शहीद’ हो गए हैं.

Compiled: up18 News