अखिल भारतीय मेजर ध्यानचंद हाकी टूर्नामेंट में 70 के दशक में पहली बार रखी गयी थी 11 हजार रुपये की इनाम राशि
दादा ध्यानचंद के साथ ही हाकी टूर्नामेंट के आयोजन सचिव सरदार दर्शन सिंह को श्रद्धांजलि
आगरा: देश में हाकी की दशा सुधारने का काम सबसे पहले ताजनगरी से शुरू हुआ । 1970 के दशक में मेजर ध्यानचंद हाकी टूर्नामेंट कराने वाली आयोजन समिति , जिसके सचिव सरदार दर्शन सिंह थे । उसने इस अखिल भारतीय हाकी टूर्नामेंट में इनामी राशि 11 हजार रुपये रखी थी । जोकि विजेता टीम को दी गयी थी । इससे पहले हाकी टूर्नामेंट में इनामी राशि का कोई प्रचलन नहीं था । आगरा में हुए इस हाकी टूर्नामेंट के प्रत्यक्ष गवाह स्वयं दादा ध्यानचंद बनते थे । वे हर साल इस टूर्नामेंट को देखने के लिए आते थे । उनके निधन के बाद उनकी धर्मपत्नी भी आगरा आती रही थीं। उनको आयोजकों द्वारा सम्मानित किया जाता था । उस समय भारतीय हाकी के तमाम दिग्गज इसलिए भी आगरा आते थे कि ताजमहल देखने के साथ ही हाकी के जादूगर दादा ध्यानचंद से उनकी मुलाकात हो जाएगी ।
भारतीय हाकी टीम के कप्तान रहे ओलंपियन जगवीर सिंह उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि उन दिनों मैं छोटा था । दादा ध्यानचंद मैच के समय मुझे अपने पास बैठा लेते थे । हालांकि इस दौरान उनका पूरा ध्यान मैच पर होता था, वे किसी से बात करना पसंद नहीं करते थे । उन दिनों देश के साथ ही पाकिस्तान, स्पेन आदि देशों की हाकी टीम भी आगरा आती थीं । दरअसल सरदार दर्शन सिंह एक अच्छे हाकी खिलाड़ी थे। उनका आगरा ब्रदर्स क्लब हुआ करता था । इसमें राइट इन पोजीशन में वे खेलते थे । उन दिनों बंगाल में हाकी लीग होता था । जिसका बड़ा क्रेज था । इसके अलावा नैनीताल में ट्रेड कप खेला जाता था । जिसमें सरदार दर्शन सिंह के साथ डा. ग्रोवर, अली सैयद के अलावा 1952-1956 के ओलंपिक में खेले एचएएल आगरा में तैनात देशमुथु , श्री बच्चन, सुरजीत सिंह , इनामुर रहमान आदि इस टीम में होते थे । वे सभी सदर बाजार स्थित सरदार दर्शन सिंह के घर पर ही रुकते थे । वहीं से टीम नैनीताल क्लब अथवा अन्य टूर्नामेंटों में खेलने के लिए चली जाती थी ।
नैनीताल के स्केटिंग हाल में टीम ठहरती थी । ओलंपियन जगबीर सिंह बताते हैं कि उन दिनों टीम के खर्च के लिए पैसे कम पड़ जाते थे तो स्वयं उनके डैडी वहीं से इंतजाम करते थे । तभी इस समिति ने दादा ध्यानचंद के नाम पर हाकी टूर्नामेंट आगरा में कराने की योजना बनायी थी।
ताजनगरी में इस अखिल भारतीय हाकी टूर्नामेंट की शुरूआत 1970 में हुई। आयोजन समिति के सचिव सरदार दर्शन सिंह के अलावा अध्यक्ष जीपी सेठ, डा. वाईआर ग्रोवर तथा ग्रांड होटल वाले राजेंद्र डंग संयुक्त सचिव होते थे । इस समिति द्वारा सबसे पहले सैंटजोंस कालेज के मैदान पर मेजर ध्यानचंद हाकी टूर्नामेंट की शुरूआत की। सैंटजोंस कालेज से यह टूर्नामेंट आगरा कालेज के मैदान पर कराया जाने लगा । इसके पश्चात सदर बाजार स्थित स्टेडियम में कराया जाने लगा । सत्तर और अस्सी के दशक में हाकी मैच देखने के लिए दर्शकों का हुजूम लग जाता था । 1975 के विश्वकप के बाद हाकी का क्रेज और ज्यादा बढ़ गया था । उन दिनों के जितने भी ओलंपियन हुआ करते थे, लगभग सभी अखिल भारतीय ध्यानचंद हाकी टूर्नामेंट में खेलने के लिए ताजनगरी जरूर आते थे। विदेशी टीमें भी जो नेहरू कप में खेलने आती थीं, वे ताजमहल देखने के बहाने आगरा आती थीं तो प्रदर्शनी मैच जरूर ताजनगरी में खेलती थीं ।
जगबीर सिंह बताते हैं कि उन दिनों के ओलंपियनों में अजितपाल सिंह, हरचरण सिंह, शिवाजी पवार, वीरेंदर सिंह, मुखबैन संह, असलम शेर खान, दादा ध्यानचंद के सुपुत्र अशोक कुमार, अजित सिंह, बीपी गोविंदा, जानेमाने गोलकीपर अशोक दीवान, जफर इकबाल, एम के कौशिक, परगट सिंह, मो. शाहिद, आदि खेलने के लिए आगरा आते थे । देश की जानी मानी हाकी टीमें नार्दन रेलवे दिल्ली, बीएसएफ, इंडियन एयरलाइंस, एएससी जालंधर, कोर आफ सिगनल, सिख रेजीमेंट के अलावा कंबाइन यूनिवर्सिटी , इंडिया व्हाइट और इंडियाब्लू आदि टीमें आती थीं ।
लगभग दो दशक तक 1970 से 1990 तक ताजनगरी में खेले गये इस अखिल भारतीय की टूर्नामेंट में इंडियन एयरलाइंस, नार्दन रेलवे के अलावा वेस्टर्न रेलवे मुंबई की टीम सबसे ज्यादा बार विजेता बनी थीं । वेस्टर्न रेलवे की टीम में ओलंपियन बलवीर सिंह, गुरबख्श सिंह, पूरन सिंह आदि खेलते थे । खास बात यह थी कि 1970 के दशक में हाकी खेल में पैसे का प्रचलन नहीं था । इनाम में आगरा के गोला शूज और पेठा दिया जाता था । शूज भी दलजीत सिंह, हरविजय सिंह वाहिया , सिंह शूज, वासन शूज आदि द्वारा दान में दिये जाते थे। इन दिग्गज हाकी खिलाड़ियों को ताजमहल, फतेहपुरसीकरी आदि घुमाया जाता था । कुछ समय बाद विजेता टीम को 11 हजार रुपये नकद इनाम देने की घोषणा आयोजन समिति द्वारा कर गयी थी। यह शायद देश का पहला हाकी टूर्मामेंट था, जिसमें विजेता टीम को नकद इनाम दिया गया । उस समय जिला प्रशासन के अलावा सेना के अधिकारियों द्वारा भी आयोजन में पूरा सहयोग दिया जाता था ।
हींग की मंडी का शू मार्केट सबसे बड़ा कांट्रीब्यूटर होता था। इस हाकी टूर्नामेंट से पूरा शहर जुड़ा होता था। उन दिनों अखबारों के मुख्यपृष्ठ पर हाकी मैच की खबर छपती थीं । दादा ध्यानचंद के जन्म दिवस पर उनके साथ ही आगरा में हाकी टूर्नामेंट कराने वाले सरदार दर्शन सिंह को लोग आज भी याद करते हैं कि उनके द्वारा इतना बड़ा टूर्नामेंट लगभग दो दशक तक आयोजित कराया गया ।
जगबीर सिंह बताते हैं कि डैडी की पढ़ाई आगरा में ही आगरा कालेज और सैंटजोंस कालेज में हुई थी। वे इंडियन क्लब सुभाष पार्क के मेंबर लंबे समय तक रहे । अब भी आगरा को दरकार है कि कोई हाकी प्रेमी आगरा में इसी तरह का बड़ा टूर्नामेंट करा सके । हालांकि अब इस तरह के टूर्नामेंट कराने के लिए बहुत अधिक पैसों की जरूरत होगी । सरदार दर्शन सिंह ने तत्कालीन खेल निदेशक उत्तर प्रदेश एवं बाह के मूल निवासी विजय सिंह चौहान से भी अनुरोध किया था कि सरकार की मदद से ध्यानचंद हाकी टूर्नामेंट को आगरा में जीवित किया जा सकता है । हालांकि स्थित अब भी जस की तस है। ज्ञातव्य है कि सरदार दर्शन सिंह ने 13 दिसंबर 2010 को अंतिम सांस ली। तब से अभी तक हाकी टूर्नामेंट को आयोजित करने के लिए कोई आगे नहीं आया है।
1988 में भारत-पाक हाकी सीरीज का मैच भी ताजनगरी में हुआ था…. ओलंपियन जगबीर सिंह बताते हैं कि 1988 में भारत-पाकिस्तान हाकी सीरीज खेली गयी थी। जिसके मैच दिल्ली और ग्वालियर के अलावा एक मैच ताजनगरी में भी खेला गया था। जिसको देखने के लिए दर्शकों को हुजूम उमड़ा था । उस समय दस रुपये का टिकट लेकर भी हजारों की संख्या में लोग एकलव्य स्टेडियम पहुंचे थे।
दादा ध्यानचंद ग्रांड होटल में ठहरते थे…अपने नाम से आगरा में होने वाले हाकी टूर्नामेंट को देखने के लिए दादा ध्यानंद स्वयं आगरा आते थे। वे यहां सरदार दर्शन सिंह के सदर बाजार स्थित घर के जाते थे लेकिन रात को ग्रांड होटल में ठहरते थे । आयोजन समिति के राजेंद्र डंग द्वारा उनके लिए रहने की व्यवस्था की जाती थी। भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान जगबीर सिंह बताते हैं कि उन दिनों में छोटा था। दादा मैच के दौरान मुझे अपने पास बुलाकर बैठा लेते थे ।
– लाखन सिंह बघेल ( लेखक दैनिक जागरण समाचार पत्र के वरिष्ठ खेल पत्रकार रहे है )
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