कर्नाटक में राहुल गांधी की कोशिशों पर सिद्धारमैया ने फेरा पानी, बीजेपी ने लपक लिया मौका​

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गदगद कांग्रेस साध रही लिंगायत​

BJP के वरिष्ठ लिंगायत नेताओं जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी गदगद थी। ‌BJP के लिंगायत वोट बैंक को तोड़ने के लिए उत्साहित होकर समुदाय को लुभाने की रणनीति पर काम हो रहा था। गुरु बसवन्ना (12वीं शताब्दी के समाज सुधारक जिन्होंने लिंगायत धर्म की स्थापना की) की समाधि कुदाल संगम में स्थित है। राहुल गांधी यहां पहुंचे और कांग्रेस कार्यक्रम के जरिए यह संकेत दिया कि वह लिंगायतों के साथ हैं।

राहुल गांधी की कोशिशों पर सिद्धारमैया ने फेरा पानी?

राहुल गांधी संगमेश्वर मंदिर और बासवन्ना की समाधि पर भी गए। कार्यक्रम स्थल पर आयोजित बसवा जयंती कार्यक्रम में हिस्सा लिया और लिंगायत समुदाय को संदेश दिया। वह लिंगायत मठ गए और यहां मठाधीशों से मिले। इधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया की लिंगायत समुदाय पर एक विवादास्पद टिप्पणी बीजेपी के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आई है।

सिद्धारमैया ने क्या कहा?​

सिद्धारमैया ने रविवार को कहा, ‘पहले से ही लिंगायत मुख्यमंत्री (बसवराज बोम्मई) हैं। वह कर्नाटक में सभी भ्रष्टाचारों की जड़ हैं।’ उनके इस बयान पर बहस छिड़ गई। हालांकि सिद्धारमैया ने विवाद बढ़ने पर बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी विशेष रूप से बोम्मई के खिलाफ थी, न कि पूरे लिंगायत समुदाय के खिलाफ। सिद्धारमैया ने उनके बयान को गलत तरीके से पेश करने का आरोप भी बीजेपी पर लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणियों को जानबूझकर पूरे लिंगायत समुदाय को गलत तरीके से समझाया जा रहा है।

बीजेपी ने लपक लिया मौका​

कर्नाटक में लिंगायत वोट बैंक का बड़ा हिस्सा लंबे अरसे से बीजेपी के साथ रहा है। बीजेपी ने सिद्धारमैया के बयान को तुरंत लपक लिया। पूर्व मुख्यमंत्री की टिप्पणियों पर निशाना साधते हुए बीजेपी ने कहा कि वीरेंद्र पाटिल को एक झटके में हटाने के बाद से कांग्रेस लिंगायत समुदाय की उपेक्षा करती रही है। कांग्रेस नेता की टिप्पणी को बीजेपी ने पूरे लिंगायत समुदाय पर हमले के रूप में बताया।

बोम्मई ने कहा, लिंगायत सिखाएंगे सबक

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘उन्होंने पूरे लिंगायत समुदाय का अपमान किया है। एक पूर्व सीएम के लिए इस तरह का बयान देना सही नहीं है कि पूरा लिंगायत समुदाय भ्रष्ट है। ब्राह्मण समुदाय का अतीत में उपहास उड़ाया जाता था। इससे पहले जब वह मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने लिंगायत-वीरशैव समुदाय को तोड़ने की कोशिश की थी। राज्य के लोग सिद्धारमैया को सबक सिखाएंगे।’

कर्नाटक में लिंगायत वोट क्यों अहम?​

लिंगायत मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रही जोर-आजमाइश को समझने के लिए हमें कर्नाटक के राजनीतिक गणित को समझना चाहिए। लिंगायत समाज को कर्नाटक की प्रभावशाली जातियों में गिना जाता है। माना जाता है कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी 18 प्रतिशत के करीब है। उत्तरी कर्नाटक के जिलों में लिंगायत समुदाय का एक तरह से एकाधिकार है। कर्नाटक की 224 विधान सभा सीटों में से 110 यानी लगभग आधी विधानसभा सीटों पर लिंगायत समुदाय ही जीत-हार का फैसला करता है।

2018 के विछले विधानसभा चुनाव में लिंगायत समुदाय से लगभग 60 विधायक चुने गए थे। लिंगायत समुदाय की आबादी और उसके राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए ही कांग्रेस इस बार बीजेपी के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने का पूरा प्रयास कर रही है। वहीं बीजेपी की कोशिश भी अपने सबसे मजबूत वोट बैंक लिंगायत समुदाय को किसी भी तरह से अपने साथ बनाए रखने की है।​

Compiled: up18 News