आगरा: तालध्वज रथ पर विराज भक्तों को दर्शन देने निकले श्री जगन्नाथ जी

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आगरा: मोर की आकृति में मोरपंख और सतरंगी पुष्पों से सजा श्री जगन्नाथ जी के तालध्वज रथ से शंखनाद के साथ जैसे ही पट खुलने का संकेत हुआ, हरिबोल के जयकारों संग हजारों भक्त हाथ ऊपर कर नाचने झूमने लगे। पीताम्बर और नीलाम्बर रंग के परिधान से सजे श्रीहरि संग बहन सुभद्रा और भाई बलराम के अलौकिक रूप को भक्त एकटक निगाह से निहारते रहे। कहीं सड़क पर दण्डवत प्रणाम करते श्रद्धालु तो कहीं रस्सी को मात्र छू लेने की होड। कहीं हाथ झाड़ू लगाकर श्रीहरि के मार्ग स्वच्छ करते तो कहीं श्रीहरि की भक्ति में झूमते। हर तरफ भक्तिमय उमंग बिखरी थी।

कमला नगर स्थित इस्कॉन मंदिर द्वारा शुक्रवार को श्रीजगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव के तहत श्रीजगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन किया गया। बल्केश्वर महादेव से रथयात्रा का शुभारम्भ इस्कॉन आगरा के अध्यक्ष अरविन्द स्वरूप ने आरती कर किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल व बल्केश्वर महादेव मंदिर के महन्त कपिल नागर भी मौजूद थे।

रथयात्रा का सामपन बल्केश्वर बाजार, कमला नगर मार्केट, मुगल रोड होते हुए कमला नगर स्थित श्रीगजन्नाथ मंदिर पर हुआ। रथयात्रा की प्रतीक्षा में जगह-जगह लोग आरती का थाल सजाए प्रतीक्षा करते नजर आए तो कहीं पुष्पों की वर्षा कर भक्तों को दर्शन देने निकले भगवान जगन्नाथ जी का स्वागत किया गया।

ऊंट, उसके बाद घोड़ों पर शंख, चक्र, गदा और कमल की सवारी श्रीजगन्नाथ जी आगुवाई कर रही थीं। साथ में बैंड बाजों के भक्तिमय संगीत के साथ तुलसी माता, नरसिंह भगवान और श्रीनाथ जी की झांकी के सामने हर भक्त का मस्तक झुका था। हरे रामा, हरे कृष्णा… के संकीर्तन के साथ (दिल्ली इस्कॉन से आए बैंड के साथ) इस्कॉन के संस्थापक प्रभुपाद जी की झांकी और अंत में श्रीजगन्नाथ जी की झांकी थी। रथयात्रा का संचालन अमित व राहुल बंसल ने किया।

भक्ति रस में डूबे भक्त

 

श्रीकृष्ण का द्वारिका से वृन्दावन गमन है श्रीजगन्नाथ जी की रथयात्रा

इस्कॉन आगरा के अध्यक्ष अरविन्द स्वरूप ने बताया कि श्रीकृष्ण का द्वारिका से वृन्दावन गमन ही श्रीजगन्नाथ जी की रथयात्रा है। कुरुश्रेत्र में महाभारत के समय सूर्य ग्रहण पड़ने पर श्रीकृष्ण ब्रह्म सरोवर में स्नान के लिए गए थे। जहां बृजवासी भी आए थे। बृजवासी श्रीकृष्ण को वृन्दावन ले जाना चाहते थे। इसलिए तालध्वज रथ पर श्रीकृष्ण को बैठाकर समस्त बृजवासी अपने कन्हैया को खुद ही रस्सी से खींचकर कुरुश्रेत्र के वृन्दावन तक ले गए थे। यही पहली रथयात्रा थी।

ग्वाल और गोपी के रूप में सजकर आए भक्तजन

ग्वाल और गोपियों के रूप में सजे संवरे श्रद्धालु जब हरे राम, हरे राम राम राम हरे, हरे कृष्णा… संकीर्तन पर झूमते नाचते रथयात्रा में शामिल हुए तो मानों बल्केश्वर और कमला नगर की सड़के गोकुल की कुंज गलिया बन गईं। कुछ लोग अपने घर में विराजमान लड्डू गोपाल जी को श्रीजगन्नाथ रथयात्रा में लेकर पहुंचे।

ये रहे उपस्थित

शैलेन्द्र अगवाल, राहुल बंसल, संजीव मित्तल, कांता प्रसाद अग्रवाल, नितेश ग्रवाल, मुरारीलाल फतेहपुरिया, जितेन्द्र चौहान, बबिता चौहान, आशु मित्तल, सुशील अग्रवाल, अखिल बंसल, अमित बंसल, ओम प्रकाश अग्रवाल, विकास बंसल लड्डू’, विमल नयन फ़तेपुरिया, विपिन अग्रवाल, नवल शर्मा, इदेश गोयल, राकेश अग्रवाल, वैभव गर्ग, ऋषभ अग्रवाल, राजीव मल्होत्रा, त्रिलोक चंद्र अग्रवाल, इदेश गोयल, राजेश खुराना, शैलेश बंसल, हर्ष खटाना, संजय कुकरेजा, अनिल गुप्ता, रमेश यादव, अमित मित्तल, राजीव गुप्ता आदि उपस्थित रहे।