मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री व एनसीपी नेता अनिल देशमुख को एक बार फिर झटका लगा है। मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को अनिल देशमुख की याचिका को खारिज कर दिया है। देशमुख ने केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में डिफॉल्ट जमानत की मांग की थी।
सीबीआई कोर्ट ने मामले के दो अन्य आरोपियों अनिल देशमुख के पूर्व निजी सचिव संजीव पलांडे और पूर्व निजी सहायक कुंदन शिंदे की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। तीनों आरोपियों ने इस आधार पर कोर्ट से डिफ़ॉल्ट जमानत मांगी थी कि सीबीआई ने 60 दिनों की अनिवार्य अवधि के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं किया था और बाद में एजेंसी ने अधूरी चार्जशीट दायर की।
साथ ही यह दलील दी कि सीबीआई ने चार्जशीट के साथ प्रासंगिक दस्तावेज भी जमा नहीं किए थे और वे अनिवार्य समय अवधि के बाद जमा किए गए थे। हालांकि सीबीआई ने दलीलों का विरोध किया था और तर्क दिया था कि उसने निर्धारित समय अवधि में चार्जशीट दायर की थी।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर चार्जशीट दायर किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आरोपी डिफॉल्ट जमानत की मांग कर सकता है।
बीते महीने ही सीबीआई ने मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाये गये 100 करोड़ रुपये के रिश्वतखोरी के आरोपों में जांच के सिलसिले में चार्जशीट दायर की गई थी।
पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किए गए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता देशमुख (71) वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं और शहर की ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं। उनसे जुड़े धनशोधन (Money Laundering) के मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा भी की जा रही है।
इस साल अप्रैल में सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए देशमुख, उनके सहयोगियों पलांडे और शिंदे तथा बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे को हिरासत में लिया था।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिसकर्मियों को शहर के रेस्तराओं और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का निर्देश दिया था। हालांकि देशमुख ने आरोपों से इनकार किया था लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिए जाने के बाद उन्हें अपने पद से हटना पड़ा था।
-एजेंसियां