सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, 2016 से अदाणी समूह के खिलाफ जांच चलने की बात बेबुनियाद

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सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए समय बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है। नियामक ने इस हफलनामे में साफ किया है कि वर्ष 2016 से अदाणी समूह की जांच किए जाने की बात तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह निराधार है। दरअसल, याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया था कि जब 2016 से अदाणी समूह के खिलाफ जांच चल रही है तो SEBI को और समय क्यों चाहिए।

न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) मानदंडों की जांच के संदर्भ में, सेबी ने बताया है कि वह मामले की जांच के लिए पहले ही 11 विदेशी नियामकों से बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (MOU) के तहत प्रतिभूति आयोगों के अंतरराष्ट्रीय संगठन (IOSCO) के साथ संपर्क कर चुका है। इन नियामकों से जानकारी देने के लिए  अनुरोध किए गए थे
विदेशी नियामकों के लिए पहला अनुरोध 6 अक्टूबर 2020 को भेजा गया था।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों से जुड़ी जांच पर सेबी ने कहा कि लेनदेन की कड़ी जांच के लिए डेटा और सूचना के मिलान की आवश्यकता होगी। कई घरेलू और साथ ही अंतरराष्ट्रीय बैंकों से बैंक स्टेटमेंट सहित विभिन्न स्रोतों से जानकारी, लेन-देन में शामिल On-Shore और Off-Shore संस्थाओं के वित्तीय विवरण और अन्य सहायक दस्तावेजों के साथ संस्थाओं के बीच अनुबंध और समझौते यदि हों, उनकी पड़ताल करनी होगी। इसके बाद, निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विभिन्न स्रोतों से प्राप्त दस्तावेजों का विश्लेषण करना होगा।

Compiled: up18 News