आतंकवादियों, अलगाववादियों और चरमपंथी संगठनों की सूची तैयार करेगा SCO

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उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में आठ देशों वाले संगठन के वार्षिक शिखर सम्मेलन के समापन अवसर पर शुक्रवार को जारी संयुक्त घोषणापत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एससीओ के सदस्यों देशों के नेताओं ने हर प्रकार के आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के कारण पैदा होने वाले सुरक्षा संबंधी खतरे पर चिंता व्यक्त की और दुनियाभर में आतंकवादी कृत्यों की कड़ी निंदा की।

घोषणापत्र के अनुसार, ‘‘आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ से लड़ने की मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सदस्य देश, आतंकवाद के प्रसार के लिए अनुकूल परिस्थितियों को समाप्त करने के वास्ते सक्रिय कदम उठाते रहने, आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के माध्यमों को काटने, आतंकवादियों की भर्ती की प्रक्रिया और सीमा पार गतिविधियों को रोकने, चरमपंथ का मुकाबला करने, युवाओं को कट्टरपंथी बनने से रोकने, आतंकवादी विचारधारा का प्रसार रोकने और स्लीपर सेल (ऐसे आतंकवादी, जो आम लोगों के बीच रहते हैं और अपने आकाओं से आदेश मिलने के बाद हरकत में आते हैं) एवं आतंकवादियों के पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले स्थानों को खत्म करने का संकल्प लेते हैं।’’

समरकंद घोषणापत्र पर एससीओ के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए। इसमें कहा गया, ‘‘सदस्य देशों के कानूनों और आम सहमति के आधार पर वे साझा सिद्धांत एवं दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास करेंगे ताकि उन आतंकवादियों, अलगाववादियों और चरमपंथी समूहों की एक सूची बनाई जा सके, जिन पर सदस्य देशों में प्रतिबंध है।’’

विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि इस चुनौती के कारण क्षेत्र और उसके परे भी खतरे को पहचानने में एससीओ के हर सदस्य देश का रुख स्पष्ट है।

रासायनिक और जैविक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए एससीओ के सदस्य देशों ने ‘रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, भंडारण और इस्तेमाल निषेध’ प्रस्ताव का पालन करने का आह्वान किया।

घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘उन्होंने सभी घोषित रासायनिक हथियारों के भंडार नष्ट करने के महत्व पर बल दिया।’’

सदस्य देशों ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने की वकालत की जहां तालिबान का शासन है।

घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘सदस्य देश अफगानिस्तान में एक ऐसी समावेशी सरकार स्थापित करना अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं जिसमें अफगान समाज के सभी जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समूहों के प्रतिनिधियों की भागीदारी हो।’’

समूह ने आतंकवाद, युद्ध और नशीले पदार्थों से मुक्त एक स्वतंत्र, तटस्थ, एकजुट, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण देश के रूप में अफगानिस्तान के गठन की भी वकालत की।

ईरान के मुद्दे पर एससीओ ने कहा कि एससीओ सदस्य देश ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ के सतत क्रियान्वयन को महत्वपूर्ण मानते हैं और इसमें सभी प्रतिभागियों से दस्तावेज के पूर्ण एवं प्रभावी कार्यान्वयन की अपनी प्रतिबद्धताओं को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया गया।

इसने कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सतत विकास के 2030 एजेंडे के कार्यान्वयन के समक्ष अतिरिक्त चुनौतियां पैदा हुई हैं।

घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘अधिक न्यायसंगत एवं प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।’’

सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय कानून, बहुपक्षीय, समान, साझा, अविभाज्य, व्यापक और सतत सुरक्षा के सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के आधार पर व्यापक प्रतिनिधित्व करने वाली, अधिक लोकतांत्रिक, न्यायसंगत और बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

एससीओ ने एक पारदर्शी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार बनाने और व्यापार में मौजूदा बाधाओं को कम करने का आह्वान किया।

इसने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एजेंडे पर चर्चा करने और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के नियमों को अपनाने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को प्रभावशाली बनाए जाने का आह्वान किया।

एससीओ की शुरुआत 2001 में शंघाई में हुई थी और इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें छह संस्थापक सदस्य चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।

-एजेंसी