UNSC में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्‍ताव पर भारत ने बनाई दूरी

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को चार यूक्रेनी क्षेत्रों के रूस में विलय की घोषणा की. इसके बाद अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य देशों ने इसकी कड़ी निंदा की.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन के चार इलाक़ों में कब्ज़े को लेकर रूस की निंदा के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, जिसे उसने वीटो कर दिया.

पंद्रह देशों की सदस्यता वाली सुरक्षा परिषद के दस देशों ने रूस के कब्ज़े के ख़िलाफ़ लाए गए मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग की लेकिन चीन, गेबन, भारत और ब्राज़ील इससे दूर रहे.

भारत ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम को लेकर वह विचलित है. उसका हमेशा से ये रुख रहा है कि लोगों की ज़िंदगी की कीमत पर वहां मौजूदा संकट का कोई समाधान नहीं निकल सकता.

यूक्रेन के चार नए इलाकों पर कब्ज़े के खिलाफ शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और अलबानिया ने प्रस्ताव पेश किया. इसमें यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमा के अंदर रूस के जनमत सर्वेक्षण करने के एलान की निंदा की गई.

संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में क्या कहा गया?

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक प्रस्ताव में कहा गया कि यूक्रेन के ज़ेपोरिज़िया में 23 सितंबर से 27 सितंबर तक रूस की ओर से ‘कथित अवैध जनमत सर्वेक्षण’ को लेकर जो अवैध कार्रवाई की गई उसकी निंदा की जाती है.

प्रस्ताव में कहा गया कि ये इलाके फिलहाल अस्थायी रूप से रूस के नियंत्रण में हैं. लिहाज़ा यहां रूस की कार्यवाही को कोई मान्यता नहीं है. सिर्फ अस्थायी नियंत्रण के आधार पर रूस यूक्रेन के इन इलाकों में कोई बदलाव नहीं कर सकता और न ही वो इसे अपने साथ मिला सकता है.

हालांकि ये प्रस्ताव खारिज हो गया क्योंकि सुरक्षा परिषद के सदस्य के तौर पर रूस ने इसे वीटो कर दिया.

प्रस्ताव पर भारत का रुख़

प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहने के भारत के रुख को साफ करते हुए संयुक्त राष्ट्र में इसकी स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि उनका देश यूक्रेन में तुरंत हिंसा और लड़ाई रोकने की मांग करता है. सिर्फ बातचीत से ही मतभेद और विवाद खत्म हो सकते हैं. भले ही वो फिलहाल कितना भी मुश्किल क्यों न लगे.

उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की समेत दुनिया के दूसरे नेताओं के साथ शांति के लिए बातचीत का रास्ता खुला रखने को कहा है.”

उन्होंने समरकंद में एससीओ समिट के दौरान नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच उस बातचीत का भी ज़िक्र किया था, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है. कंबोज ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि वहां तुरंत युद्ध बंद होगा और शांति के लिए दरवाज़े खुलेंगे.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उन बयानों की भी याद दिलाई जिनमें बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की गई थी.

क्या है मामला?

व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को यूक्रेन के चार नए इलाक़ों को रूस में शामिल करने के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर कर दिए और मॉस्को में हुए एक समारोह में इसे लेकर भाषण भी दिया. अगले कुछ दिनों में इन इलाक़ों को औपचारिक रूप से रूस में शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी.

इसी तरह साल 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्राइमिया प्रायद्वीप को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था. ये इलाक़ा अभी भी रूस के नियंत्रण में ही है.

पुतिन ने क्रेमलिन में जब अधिग्रहण के दस्तावेज़ों पर बारी-बारी से हस्ताक्षर किए तब रूस के सैन्य अधिकारी और नेता तालियां बजा रहे थे.

क्रेमलिन में यूक्रेन के इलाक़ों को रूस में शामिल करने की घोषणा करते हुए पुतिन ने कहा कि लोगों ने अपनी पसंद ज़ाहिर कर दी है और इन इलाक़ों को रूस का हिस्सा बनाना यहां की आबादी की इच्छा थी.

क्रेमलिन के सेंट जॉर्जेज़ हॉल में इस घोषणा के साथ ही रूस ने आधिकारिक रूप से यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहांस्क, ख़ेरसोन और ज़ेपोरिज़िया इलाक़ों को अपने साथ मिला लिया है.

रूस ने जिस जनमत संग्रह के तहत इन क्षेत्रों को अपने अधिकार में लिया है उसे संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय जगत के अधिकतर देशों ने अवैध माना है.

-एजेंसी