गाजा में चल रहे भीषण युद्ध के बीच सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका को बड़ा संकेत दिया है। सऊदी प्रिंस ने संकेत दिया है कि इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने की प्रक्रिया गाजा में हमास से युद्ध समाप्त होने के बाद फिर से शुरू हो सकती है। दरअसल, सऊदी प्रिंस और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच फोन पर बातचीत हुई है। इसके बाद व्हाइट हाउस ने यह बयान दिया है। इस बातचीत में सऊदी प्रिंस ने अमेरिका की मध्यस्थता वाली डील में ‘बने रहने’ पर सहमति जताई है। इस डील के तहत इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंध पहली बार सामान्य हो सकते हैं, हालांकि प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कई शर्तें भी रखी हैं।
इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि ईरान ने इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंध बहाली को रोकने के लिए हमास के जरिए इजरायल पर यह खूनी हमला कराया। इस युद्ध से पहले सऊदी अरब ने संकेत दिया था कि अगर फलस्तीन नाराज भी होता है तो भी वह इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करेगा। व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडन और प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान दोनों ने इजरायल और फलस्तीन के बीच शांति की बहाली की दिशा में काम करने के महत्व पर जोर दिया। इस दिशा में दोनों देशों ने हाल के महीनों में काफी काम किया है।
हमास ने इजरायल-सऊदी डील को बनाया निशाना
बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने संकेत दिया कि इजरायल के साथ सऊदी के संबंधों की बहाली अभी सबसे ज्यादा प्राथमिकता में नहीं है। हालांकि व्हाइट हाउस ने जोर देकर कहा कि वह अभी भी इस लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है और सुझाव दिया कि हमास के नरसंहार की एक वजह इस प्रयास को फेल करना भी था। बाइडन और सऊदी प्रिंस दोनों ने ही हमास के कब्जे से बंधकों की सुरक्षित रिहाई का स्वागत किया। साथ ही अन्य लोगों को भी तत्काल रिहा करने की अपील की।
बाइडन और प्रिंस दोनों ही ने गाजा में मानवीय मदद देने का भी स्वागत किया। दोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस संघर्ष के अन्य क्षेत्रों में नहीं भड़कने के लिए व्यापक राजनयिक प्रयास की जरूरत है। बाइडन ने एक बार फिर से सऊदी प्रिंस से वादा किया कि इस इलाके में अमेरिका के किसी भी सहयोगी देश पर आतंकी हमला होता है तो वह रक्षा करने में मदद करेंगे। सऊदी प्रिंस ने पिछले दिनों ईरान के शीर्ष नेतृत्व से भी बात की है। सऊदी अरब को ईरान के खाड़ी देशों में बढ़ते असर का डर सता रहा है। यही वजह है कि वह अमेरिका से सुरक्षा कवच की मांग कर रहा है।
इजरायल और अमेरिका दोनों ही ईरान को लेकर आक्रामक हैं। यही वजह है कि अमेरिका इजरायल और सऊदी अरब को साथ-साथ लाना चाहता है।
Compiled: up18 News