‘सुनिश्चित करें कि दुनिया मिट्टी के बारे में बोलती है क्योंकि मिट्टी ही शुद्ध जल, साफ हवा और जो जीवन हम हैं, उसका आधार है,’ ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक, सद्गुरु ने अपने पृथ्वी दिवस के संदेश में कहा। सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड से ‘सारे पृथ्वीवासियों को शुभकामनाएं’ देते हुए सद्गुरु ने कहा कि यह धरती ‘अगले 30-40 सालों में गंभीर संकट में आ सकती है’ अगर दुनिया मिट्टी को विनाश से बचाने के लिए वैश्विक नीति में सुधार की पहल करने हेतु तुरंत और दृढ़ता से कार्यवाही करने में असफल रहती है। मिट्टी बचाओ अभियान के एक हिस्से के रूप में, वह अपनी 100-दिवसीय 30,000 किमी की अकेले मोटरसाइकिल की यात्रा के 33वें दिन बेलग्रेड में थे। ‘एक पीढ़ी के रूप में, अगर हम अपना मन बना लें, तो हम इसे अगले 8-12 सालों में, या अधिक से अधिक 15 सालों में पलट सकते हैं,’ उन्होंने कहा। वह मिट्टी की तेजी से खराब होती दशा की बात कर रहे थे, जिससे सालाना 27,000 सूक्ष्मजीवी प्रजातियां लुप्त हो रही हैं।
The Earth doesn’t need a day. It is time for Humanity to mature beyond symbolism & the first step towards this maturity is to become Conscious that we are living soil. Living consciously is what is important. Not for the earth but for US. #SaveSoil. -Sg #EarthDay #EarthDay2022 pic.twitter.com/Hx8pChpLmg
— Sadhguru (@SadhguruJV) April 22, 2022
समृद्ध मिट्टी की ताकत के बारे में बात करते हुए, जो न सिर्फ एक उपजाऊ धरती, बल्कि जल सुरक्षा और साफ हवा के लिए भी जिम्मेदार है, सद्गुरु ने दुनिया भर के नागरिकों पर जोर दिया कि ‘पृथ्वी दिवस पर इसे एक जिम्मेदारी की तरह लें और प्रेरणा का स्रोत बनें, और इस अभियान को बड़ा करने का स्रोत बनें। यह सुनिश्चित करें कि दुनिया मिट्टी के बारे में बोले।’
मिट्टी पर मानव चरणचिन्हों के असर की ओर इशारा करते हुए सद्गुरु ने कहा कि पिछले हजार सालों में, ‘दुनिया में फोटोसिंथेसिस का इलाका 85 प्रतिशत कम हो गया है।’ फोटोसिंथेसिस से यह सुनिश्चित होता है कि धरती का वातावरण ऑक्सीजन से समृद्ध है और मिट्टी में पर्याप्त कार्बन है जिससे वह जीवित रहती है और सूक्ष्मजीवी गतिविधियों से भरपूर रहती है। सिर्फ हरित-आच्छादन से ये दोनों संभव हैं। ‘हमें हर देश में नीतियां बनाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि धरती पर या तो फसलें हैं, या वह फसलों, झाड़ियों, या पेड़ों से ढंकी है – कुछ हराभरा है – इसी से फोटोसिंथेसिस का जादू होता है, जो मिट्टी और वातावरण दोनों को समृद्ध बनाता हैः मिट्टी को कार्बन-शुगर से और वातावरण को ऑक्सीजन से,’ उन्होंने समझाया।
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन (UNCCD) और खाद्य और कृषि संगठन (FAO) जैसी संयुक्त राष्ट्र की इकाइयों ने चेतावनी दी है मिट्टी का विनाश भोजन और जल सुरक्षा के लिए एक वैश्विक खतरा खड़ा कर रहा है और इससे दुनिया में निर्मम गृह युद्ध छिड़ सकता है। इससे अभूतपूर्व पलायन शुरू हो सकता है जो हर देश के लिए सुरक्षा का खतरा बन सकता है।
पिछले महीने सद्गुरु ने मिट्टी को बचाने के लिए वैश्विक अभियान शुरू किया है। तत्काल नीतिगत सुधारों के लिए वैश्विक सहमति बनाने के लिए, उनकी यात्रा यूरोप, मध्य-एशिया, और मध्य-पूर्व से होकर जून में कावेरी नदी घाटी में समाप्त होगी। ईशा के कावेरी कॉलिंग अभियान के लिए नदी घाटी उद्गम स्थल है। नदी घाटी में पर्यावरण के इस महत्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत, सद्गुरु ने उष्णकटिबंधीय इलाकों में मिट्टी की सेहत और जल निकायों को बहाल करने के एक प्रत्यक्ष मॉडल के रूप में दर्शाने के लिए की है।
-pr
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