रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, पश्चिमी देशों की नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था ‘अव्वल दर्जे का धोखा’

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उन्होंने इसके साथ ही पश्चिमी देशों की नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था पर जोर को ‘अव्वल दर्जे का धोखा’ करार दिया और उनके ‘दोहरे मानक’ की निंदा की है।
पुतिन ने यह टिप्पणी क्रेमिलन के नजदीक सेंट जॉर्ज हॉल में शुक्रवार को दिए गए औपचारिक भाषण में की। उन्होंने यह भाषण यूक्रेन के बागी चार क्षेत्रों लुहांस्क, दोनेत्स्क, खोरसोन और जापोरिज्ज्या में कथित जनमत संग्रह के कई दिनों बाद दिया है जिसे यूक्रेन और पश्चिमी देश खारिज कर चुके हैं।

पुतिन ने कहा, ‘हम सब सुन रहे हैं कि पश्चिम नियम आधारित व्यवस्था पर जोर दे रहा है। हालांकि, यह कहां से आता है? किसी ने इन नियमों को कभी देखा है? किसने इन पर सहमति जताई है या मंजूरी दी है? सुनो, यह पूरी तरह से बकवास, धोखेबाजी और दोहरा मानक है, यहां तक कि तिहरा मानक है। वे समझते हैं कि हम बेवकूफ हैं।’

क्रेमलिन की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध भाषण के अंग्रेजी संस्करण के मुताबिक पुतिन ने कहा रूस और उसकी सभ्यता हजार साल से महान शक्ति है और यह अस्थायी, झूठे नियमों से नहीं बदलेगी।

पुतिन ने कहा कि पश्चिमी कुलीन यहां तक सभी के प्रति अपने ऐतिहासिक अपराध के प्रति ग्लानि को लेकर रुख बदल रहे हैं और उन देशों और अन्य लोगों से मांग कर रहे हैं कि वे गलती स्वीकार करें जिससे उनका कोई लेना देना ही नहीं है, उदाहरण के लिए औपनिवेशिक काल में किए गए हमले।

उन्होंने कहा, ‘पश्चिम को याद दिलाना सार्थक है कि उसने मध्यकाल में औपनिवेशिक नीति की शुरुआत की, जिसके बाद दास कारोबार किया, अमेरिका के मूल निवासियों (रेड इंडियन) का जनसंहार किया, भारत और अफ्रीका में लूट-पाट की…यह मानवीय प्रकृति, सच्चाई, स्वतंत्रता और न्याय के विपरित है।’

उल्लेखनीय है कि यूरोपीय परिषद ने सोमवार को बयान जारी कर लुहांस्क, दोनेत्स्क, खोरसोन और जापोरिज्ज्या के रूस में ‘गैर कानूनी’ विलय निंदा करते हुए उसे खारिज कर दिया था।

पुतिन ने कहा कि यह पश्चिम है जिसने ‘सीमा की पवित्रता’ के सिद्धांत को ‘कुचला’ और अब अपने लाभ के लिए तय कर रहा है कि किसे स्वयं का निर्णय लेने का अधिकार है और किसे नहीं है, कौन इसके योग्य नहीं है।

पुतिन ने कहा, ‘यह स्पष्ट नहीं है कि उनका फैसला किस पर आधारित है या किसने उन्हें सबसे पहले यह तय करने का अधिकार दिया है। वे बस मानकर चलते हैं।’

गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति द्वारा लुहांस्क, दोनेत्स्क, खोरसोन और जापोरीज्ज्या में शामिल करने की संधि पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे के बाद ही 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को ‘यूक्रेन में कथित गैर कानूनी जनमत संग्रह’ पर तैयार मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया।

हालांकि, इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जा सका क्योंकि रूस सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और उसने इसे वीटो कर दिया। इस प्रस्ताव का 10 देशों ने समर्थन किया जबकि चीन, भारत, गबोन, ब्राजील मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे।

अमेरिका पर निशाना साधते पुतिन ने कहा कि अमेरिका दुनिया का एकमात्र देश है जिसने दो बार परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया और जापान के हिरोशिमा व नागासाकी को नष्ट किया। पुतिन ने कहा कि उन्होंने नजीर बनाई।

रूसी राष्ट्रपति ने रेखांकित किया, ‘अमेरिका ने अपनी भीषण बमबारी और जैली एवं रसायनिक हथियार का इस्तेमाल कर कोरिया और वियतनाम के लोगों की यादों में खौफ पैदा किया।’

-एजेंसी