रूस ने ईगला एयर डिफेंस सिस्‍टम की पहली खेप भारत भेजी, पहाड़ी इलाकों में तैनात सैनिक होंगे लैस

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इस मिसाइल के मिलने के साथ ही भारत की बहुत कम दूरी की एयर डिफेंस क्षमता में काफी बढ़ोत्तरी होगी। इससे पहले भारत ने साल 2021 में इमरजेंसी खरीद के तहत रूस से 24 लांचर और 216 मिसाइलें खरीदी थीं लेकिन ताजा डील काफी बड़ी है।

ईगला एस सिस्‍टम में एक सिंगल लॉन्‍चर और एक मिसाइल होती है। भारत ने पिछले साल नवंबर महीने में 120 लॉन्‍चर और 400 मिसाइलों को खरीदने की डील की थी। रूस ने भारत को तकनीक ट्रांसफर की है और अब ये मिसाइलें तथा लॉन्‍चर हिंदुस्‍तान में ही बनेंगे। ईगला एस मिसाइल को भारत की उत्तरी सीमा पर पहाड़ी इलाकों में तैनात सैनिकों को दिया जाएगा जो चीन और पाकिस्‍तानी फाइटर जेट के खतरे का सामना कर रहे हैं। सेना के एक रेजिमेंट को इस सिस्‍टम से लैस कर दिया गया है। यही नहीं, आने वाले समय में इसे अन्‍य रेज‍िमेंट को भी दिया जाएगा।

रूसी मिसाइल कितनी खास ?

इस मिसाइल की फायरिंग रेंज 500- 6000 मीटर है। वहीं टारगेट ऊंचाई 10 से 3500 मीटर है। ईगला एस सिस्‍टम को रूस की कंपनी Rosoboronexport बनाती है और उसने फ्रांस की कंपनी को पीछे छोड़ दिया था। मैनपैड सिस्‍टम पोर्टेबल सरफेस टु एयर मिसाइल सिस्‍टम होता है। इससे कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई खतरों जैसे फाइटर जेट, हेलिकॉप्‍टर, ड्रोन और मिसाइलों को भी मार गिराया जा सकता है। भारतीय सेना पहले से ही ईगला 1 एम श्रेणी की मिसाइलों का इस्‍तेमाल कर रही है। इससे पहले रक्षा अधिकारियों ने खुलासा किया था कि भारत का 97 फीसदी एयर डिफेंस सिस्‍टम पुराना पड़ चुका है।

ईगला एस सिस्‍टम की मिसाइलों के वारहे‍ड को काफी बढ़ाया गया है और इसकी रेंज भी बढ़ गई है। इसमें ज्‍यादा संवेदनशील सीकर लगाया गया है। इसे रोकना या चकमा देना अब आसान नहीं है।

कंपनी का दावा है कि यह 80 से 90 फीसदी तक सफल है। अब तक रूस इस एयर डिफेंस सिस्‍टम को इराक, लीबिया, वेनेजुएला, कजाखस्‍तान, कतर आदि शामिल हैं। सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन युद्ध के बाद भी रूस अभी भारत को सबसे ज्‍यादा हथियारों की सप्‍लाइ कर रहा है।

-एजेंसी