मन में कई बार निगेटिव इमोशन आते हैं, लेकिन लोग इसे बुरा मानकर टालने की कोशिश करते हैं। इतना ही नहीं कई बार वे इससे दुखी भी होने लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। कई बार निगेटिव इमोशन आपकी मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप इसे चैलेंज की तरह लें। इससे आपका मन भी प्रसन्न रहता है। हाल ही में हुए एक रिसर्च में यह बात सामने आई है।
दरअसल, हम अपने आगामी जीवन और काम को लेकर परेशान हो जाते हैं। अपने साथ के लोगों पर नाराज होने लगते हैं। अक्सर ही हमारे इमोशन हमारे अच्छे-बुरे बर्ताव को प्रभावित करते हैं। हम अपने इमोशन को कैसे आंकते हैं और उस पर कैसे व्यक्त करते हैं इसका बहुत फर्क हमारे जीवन में पड़ता है। इमोशन नाम के जर्नल में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने मानव व्यवहार और उसके भावनाओं के संबंध पर रिसर्च प्रस्तुत की है।
निगेटिव फीलिंग्स वाले लोग जीवन से कम संतुष्ट हैं
इस रिसर्च में साफ हुआ कि ऐसे लोग जो आदतन निगेटिव फीलिंग्स, जैसे उदासी, डर या गुस्सा आदि से घिरे रहते हैं, अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा घबराहट और अवसाद जैसे अनुभवों का सामना करते हैं। ऐसे लोग अपने खुशहाल जीवन से भी कम ही संतुष्ट होते हैं।
शोध में यह भी सामने आया है कि अक्सर शरीर के बढ़ने के साथ ही लोग अपने निगेटिव इमोशन का सामना करने की बजाय उसे हेल्दी और बेहतर मानने लगते हैं। ये उनके मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर डालता है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में इमोशन का अध्ययन करने वाले सामाजिक मनोवैज्ञानिक आइरिस मौस का कहना है कि हम में से कई लोगों का विश्वास है कि इमोशन होना ही खराब बात है और हमारे मेंटल हेल्थ की स्थिति के जिम्मेदार इमोशन ही हैं। मगर ऐसा नही हैं। अधिकतर बार इमोशन हानिकारक नहीं होते हैं। इमोशन के लिए कहा जा सकता है कि ये एक ऐसा निर्णय है जिसमें अंत में दुखी होने की संभावना बनी रहती है। भावनाओं को टालना या दबाना उल्टा भी पड़ सकता है।
इमोशन का विरोध करना जरूरी है, भागने से नकारात्मकता बढ़ती है
क्लीवलैंड क्लिनिक में इमोशन पर रिसर्च करने वाली डॉ. अमांडा शालक्रॉस का मानना है कि जो विरोध करता है, वह बना रहता है। जब आप अपने इमोशन से भागते हैं तो आप लंबे समय तक नकारात्मक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का अनुभव करने के लिए मजबूर हैं।
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