आगरा: बाढ़ के जाते ही पर प्रशासनिक सहायता भी बंद, तंबुओं पर नहीं पहुंच रही राहत सामग्री

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आगरा। चंबल नदी में आयी बाढ तो लगभग खत्म हो गयी लेकिन बाढ पीडितों के हालचाल पूछने वाला अब कोई नहीं है। बाढ़ के चलते घर छोडकर तंबुओं में रह रहे उमरैठा पुरा के लोग कीचड़ के कारण घरों तक नहीं पहुच पा रहे हैं। चंबल नदी का जलस्तर घटता चला जा रहा है।

सोमवार को नदी का जलस्तर 119 पर आ गया जो बारिश के मौसम में सामान्य की श्रेणी में ही माना जाता है।किन्तु बाढ प्रभावित गांव में जीवन अभी भी सामान्य नहीं हो पाया है।अभी भी लोग अपने घरों तक नहीं पहुंचे हैं। गांव उमरैठा पुरा जो समूचा बाढ के पानी में करीब पांच दिन डूबा रहा था। यहाँ गलियों मे कीचड़ व घरों मे बाढ का मलबा भरा हुआ है। लोग अपने घरों को दूर से देखकर वापस लौट रहे हैं।

इन घरों में रहने वाले लोगों का कहना है कि मलबा सूखने के बाद घर की हालत के बारे में पता लगेगा। तभी घरों मे जाना हो पायेगा। ऐसे में हम अभी भी तंबुओं मे रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने कहा कि तंबूओं मे हालत खराब है। खाने पीने की कोई व्यवस्था नही है। हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।

लोगों ने बताया कि करीब तीन दिन से प्रशासन की ओर से कोई भी हमारे हालचाल पूछने तक नहीं आया। खाद्य सामग्री पहुंचाने की तो बहुत दूर की बात है। प्रधान प्रदीप बघेल ने बताया कि प्रशासन की ओर से यहां कोई खाद्य सामग्री वितरित नहीं की गयी। बाढ के समय पर उन्होंने खुद बंटवायी थी। अब भी हालात बहुत खराब है। बाढ़ खत्म होने के बाद प्रशासन ने मुंह मोड़ लिया है, कोई मदद या राहत नहीं मिल रही है।

पिनाहट कस्बा से चंबल नदी की ओर जाने वाला मुख्य मार्ग बाढ से बुरी तरह कट कर मार्ग के बीचो बीच गहरी खाई बन चुका है। जिससे आवागमन पूर्ण रूप से बंद है। बता दें कि पैंटून पुल, स्टीमर से मध्यप्रदेश की ओर जाने वाला यह मुख्य मार्ग है जो गहरी खाई मे बदल चुका है।

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