उत्तराखंड में ‘महापंचायत’ के आयोजन पर रोक की मांग वाली याचिका सुनने से इंकार

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सुप्रीम कोर्ट की वैकेशन बेंच के जज जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने याचिकाकर्ता एडवोकेट शाहरुख़ आलम से कहा कि वे उपलब्ध क़ानूनी विकल्पों का सहारा लें और चाहें तो संबंधित हाई कोर्ट या फिर किसी अन्य अथॉरिटी से संपर्क करें.

बेंच ने कहा, “हम क़ानूनी प्रक्रिया को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. एक हाई कोर्ट और ज़िला प्रशासन हैं, आप उनके पास जा सकते हैं. क़ानून- व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है, आपको ऐसा क्यों लगता है कि अगर मामला उनके संज्ञान में लाया जाएगा तो कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. आपको हाई कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए.”

एडवोकेट शाहरुख़ आलम ने कोर्ट को बताया कि समुदाय विशेष के लोगों को चिट्ठी लिखी जा रही है और पोस्टर लगाए जा रहे हैं कि वे उत्तरकाशी छोड़ दें.

उन्होंने कहा कि हेट स्पीच के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कि पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर एफ़आईआर दर्ज करे, कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

शाहरुख़ आलम ने बेंच को बताया, “तथ्यों से ये पता चलता है कि यूएपीए के तहत एफ़आईआर दर्ज किए जाने की ज़रूरत है. 15 जून को एक महापंचायत प्रस्तावित है और उन्होंने ज़िला प्रशासन को अल्टिमेटम दिया है कि वे 15 जून तक एक समुदाय विशेष के लोगों को वहां से हटाएं.”

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में 26 मई को एक लड़की के कथित अपहरण की कोशिश के बाद वहां सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है.

Compiled: up18 News