हनुमान चालीसा के दोहे एवं चौपाइयों में जीवन को सफल बनाने का रहस्य भी छिपा है। यही नहीं, हनुमान चालीसा की समस्त चौपाइयां औषधियों के समान फलदायी हैं, जिनका प्रयोग विभिन्न कामना की पूर्ति के लिए किया जा सकता है।
हनुमान चालीसा को सिद्ध कर लेने पर व्यक्ति समस्त बंधनों से मुक्त हो जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ सभी उम्र के लोगों के लिए फलदायी है, चाहें वह 5 वर्ष का बालक हो अथवा 90 वर्ष का वृद्ध, यह सभी को उसके अनुरूप बल व शक्ति प्रदान करता है।
श्री हनुमान चालीसा के सबसे पहले दोहे का पाठ करने से मन में पवित्रता आती है, मन अशुद्ध विचारों से दूर होता है।
श्री हनुमान चालीसा का दूसरा दोहा जीवन में उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों को सुगम बनाता है और जीवन के क्लेशों को समाप्त करता है।
श्री हनुमान चालीसा की प्रथम चौपाई, ‘जय हनुमान ज्ञान गुन सागर’ का स्मरण एवं पाठ करने से व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है जिसके द्वारा वह धर्म-अधर्म, ज्ञान-अज्ञान, अंधकार-प्रकाश, सही-गलत में भेद कर सकता है।
श्री हनुमान चालीसा की तीसरी चौपाई, ‘महावीर विक्रम बजरंगी’ का पाठ करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व परिवर्तन प्रारम्भ हो जाता है, उसकी बुरी संगत दूर होने लगती है और व्यसनों के जाल से मुक्ति मिलती है। श्री हनुमान चालीसा के जप से व्यक्ति में आत्मशक्ति का अद्भुत संचार होता है।
हनुमान जी भक्त के अन्दर निवास कर रही कुमति को सुमति में बदल देते हैं।
श्री हनुमान चालीसा की सातवीं एवं आठवीं चौपाई, ‘विद्यावान गुनी अति चातुर’ हमें प्रभु श्रीराम की अनुपम भक्ति प्रदान करती हैं।
श्री हनुमान चालीसा की ग्यारहवीं चौपाई, ‘लाय संजीवन’ का पाठ करने से जीवन में किसी प्रकार के विष आदि का भय नहीं रहता है।
श्री हनुमान चालीसा की बारहवीं चौपाई हमारे संबंधों में उत्पन्न मतभेदों को समाप्त कर देती है और भाइयों में प्रेम बढ़ाती है, परिवार को संयुक्त रखने में इस चौपाई का विशेष प्रभाव है।
जीवन में यश एवं कीर्ति पाने के लिए श्री हनुमान चालीसा की तेरहवीं, चौधवीं एवं पंद्रहवीं चौपाई का पाठ विशेष फलदायी होता है।
श्री हनुमान चालीसा की सोलहवीं व सत्रहवी चौपाई के पाठ द्वारा जीवन में खोई हुई समृद्धि वापस प्राप्त होती है।
श्री हनुमान चालीसा की बीसवीं चौपाई का पाठ कठिन से कठिन कार्यों को करने की शक्ति प्रदान करता है तथा दुर्गम कार्य भी सुगमता से हो जाते हैं।
जीवन में उत्पन्न हुए विभिन्न ग्रहों के विपरीत परिणामों व दोषों से मुक्ति के लिए श्री हनुमान चालीसा की बाइसवीं व तेइसवीं चौपाई का निरन्तर जप करना चाहिए।
इसी प्रकार श्री हनुमान चालीसा की प्रत्येक चौपाई कलियुग में मनुष्य की कामनाओं की पूर्ति कर उन्हें सुरक्षा, वैभव आदि प्रदान करती हैं।
-एजेंसी
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