पंजाब: गवर्नर ने सीएम भगवंत मान को दायित्व याद दिलाने की कोशिश की

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दरअसल, राजभवन और आप सरकार के बीच शुक्रवार को तब विवाद बढ़ गया जब राज्यपाल ने मंगलवार को विधानसभा के प्रस्तावित सत्र में किए जाने वाले विधायी कार्यों की सूची मांग ली. इस पर भगवंत मान ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह तो ‘हद’ है.

शनिवार को उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा, ‘आज के अखबारों में आपका बयान पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि शायद आप मुझसे काफी हद तक नाराज हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आपके कानूनी सलाहकर आपको समुचित ढंग से जानकारी नहीं दे रहे हैं. शायद मेरे बारे में आपकी राय संविधान के अनुच्छेद 167 और 168 के प्रावधानों को पढ़ने के बाद बदल जाएगी, जिन्हें मैं आपके संदर्भ के लिए उद्धृत कर रहा हूं.’

बता दें कि अनुच्छेद 167, राज्यपाल के प्रति मुख्यमंत्री के दायित्वों को परिभाषित करता है जबकि अनुच्छेद 168 में राज्य विधानमंडल की संरचना का विवरण है.

इससे पहले सीएम भगवंत मान ने शुक्रवार को यह कहते हुए राज्यपाल की मांग को लेकर अपनी नाखुशी जताई थी कि विधानमंडल के किसी सत्र से पहले उनकी सहमति औपचारिता भर है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया था, ‘विधायिका के किसी सत्र से पूर्व राज्यपाल/राष्ट्रपति की सहमति औपचारिकता है.

75 सालों में किसी भी राष्ट्रपति या राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी. कार्य मंत्रणा समिति एवं विधानसभा अध्यक्ष ही विधायी कार्य तय करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अगले राज्यपाल सभी भाषणों को उनके द्वारा अनुमोदित करने की मांग करेंगे. यह तो हद ही है.’

-एजेंसी