‘जनसुराज पदयात्रा’ के लिए पटना से ‘भितिहरवा आश्रम’ को निकले प्रशांत किशोर

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इस पदयात्रा के माध्यम से प्रशांत ने बिहार के अलग-अलग शहरों और कस्बों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है. पदयात्रा की अनुमानित दूरी उन्होंने 3500 किलोमीटर बताई है.

उन्होंने यह कहा कि इस यात्रा के दौरान वे पटना और दिल्ली नहीं आने-जाने वाले.

हालांकि इस यात्रा की शुरुआत से पहले ही वो सूबे के अलग-अलग ज़िलों का दौरा कर रहे थे और लोगों से मिल भी रहे थे.

प्रशांत किशोर का कहना है कि वो बिहार जैसे ग़रीब और पिछड़े राज्य में व्यवस्था परिवर्तन के लिए संकल्पित हैं और बिहार में इस बदलाव की ज़रूरत है क्योंकि राज्य में चारों तरफ़ ग़रीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी से लोगों का बुरा हाल है.

बिहार की इस हालत के लिए वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर हमलावर रहे हैं. हालांकि हालिया सत्ता परिवर्तन के बाद उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से मुलाक़ात की. वो सीएम नीतीश कुमार को पितातुल्य कहते रहे हैं.

दलों से भी जुड़े रहे हैं प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने साल 2014 के आम चुनाव में भाजपा और नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के बाद साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार में जद (यू) और नीतीश कुमार के लिए भी काम कर चुके हैं.

इतना ही नहीं, उन्होंने जद (यू) की सदस्यता भी ले ले थी, और उन्हें पार्टी में अहम जिम्मेदारियां भी दी गई थीं. हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया.

देश के दूसरे हिस्सों में भी जारी हैं यात्राएं

साल 2024 के चुनाव के मद्देनज़र कई दल अपनी शक्ति बढ़ाने और संगठन को मजबूत करने के लिए यात्राएं शुरू कर चुके हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा शुरू कर चुके हैं.

वहीं उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल के नेता भी ‘समाजवादी यात्रा’ कर रहे हैं.

ऐसे में प्रशांत किशोर की यात्रा को भी साल 2024 के आम चुनाव से पहले खुद को मजबूत करने और जनता के सामने खुद को तौलने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.

-एजेंसी