वाराणसी। काशी में आज से शुरू हो चुका कसशी-तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक रूप से बल्कि राजनैतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। चूंकि काशी में भी लघु तमिलनाडु बसता है तो भारत की दो पौराणिक संस्कृतियों के मिलन के दो पौराणिक केंद्र विश्वेश्वर और रामेश्वर के मिलन के लिए काशी नगरी तैयार है। एक महीने तक चलने वाले काशी-तमिल संगमम में इस बार एक भारत श्रेष्ठ भारत की थीम है। इसी थीम पर काशी को भी सजाया जा रहा है।
बीएचयू के एम्फीथिएटर मैदान में बनाए गए भव्य पंडाल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एम्फीथिएटर मैदान में बनाए गए भव्य पंडाल में 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में तमिल संगमम का उद्घाटन होगा। 2024 आम चुनावों को लेकर जहां एक और कांग्रेस के राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने भी दक्षिण को अपनी प्राथमिकता में रखा हुआ है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने कोई यात्रा नहीं बल्कि तमिल भाषियों को उत्तर भारत से मिलाने का प्लान तैयार किया है।
उत्तर-दक्षिण की संस्कृतियों, परंपरा, खानपान और शैलियों का संगम तो होगा ही, तमिलनाडु के 12 प्रमुख मठों के महंतों को सम्मानित किया जाएगा।
दो दिन तक काशी-तमिल गीत-संगीत का कार्यक्रम चलेगा, उसके बाद 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एंफीथिएटर ग्राउंड में संगमम के मुख्य आयोजन की शुरुआत करेंगे। बताया रहा है कि 12 ट्रेनों से ढाई हजार प्रतिभागी और तमिलनाडु के कुल 10 हजार लोग वाराणसी घूमने के लिए आएंगे।
काशी दर्शन के बाद संगम और राम नगरी भी जाएंगे तमिल डेलीगेट्स
17 नवंबर से 16 दिसंबर तक चार अलग-अलग सप्ताह में 12 ट्रेनों से ढाई हजार तमिल डेलीगेट्स वाराणसी आएंगे। हर डेलीगेट दो दिन काशी-तमिल संगमम में रूकेगा। यहां पर BHU के छात्रों, रिसर्चरों और एकेडमिक लोगों के साथ संगोष्ठियां होंगी। वहीं, यहां पर सजे 75 स्टालों पर तमिलनाडु का कल्चर, परिधान, व्यंजन, हस्तकला, हथकरघा, हेरिटेज, वास्तुकला, मंदिर, त्योहार, खानपान, खेल, मौसम, शिक्षा और राजनीतिक जानकारियां दी जाएंगी। वे लोग वाराणसी के मंदिर, घाट, सारनाथ, हेरिटेज घूमेंगे। वहीं यहां से प्रयागराज संगम और अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का दर्शन करके सभी लोग वापस काशी आएंगे। यहां से वे तमिलनाडु लौट जाएंगे।
भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष और कार्यक्रम के आयोजक पंडित कृष्ण चमू शास्त्री ने कहा कि इस तमिल के लोग पूरे एक महीने तक काशी को फिजिकली यानी कि यहां पर उपस्थित होकर महसूस करेंगे। वहीं, काशी के लोग तमिलनाडु को एग्जीबिशन में देखेंगे। काशी तमिल संगमम भारत के इतिहास में हिंदी और तमिल भाषाई लोगों के मेल-मिलाप का सबसे बड़ा महोत्सव है।
प्रधानमंत्री की संकल्पना पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा इस कार्यक्रम को कराया जा रहा है। इसमें IIT-मद्रास और BHU को आयोजक बनाया गया है। IIT-मद्रास द्वारा 2500 लोगों का 12 ग्रुप बनाया गया है। दिन भर तमिल विषयों पर संगोष्ठियां होंगी। वहीं, शाम को लोक कला और शास्त्रीय कलाओं की प्रदर्शनी और प्रस्तुति होगी। तमिल लोगों को देखने के लिए काशी का हैंडलूम होगा, तो वहीं काशी के लोग तमिल के व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। यहां तमिल क्लासिकल किताबें हिंदी भाषा में मिलेंगी। पूरे दिन कई तमिल फिल्में दिखाईं जाएंगी, जिसमें नॉलेज हेरिटेज, कल्चरल हेरिटेज, आर्किटेक्चरल हेरिटेज, टेंपल हेरिटेज आदि होंगी। काशी के लोगों को इस ग्राउंड पर संपूर्ण तमिलनाडु को देखने का अवसर मिलेगा।
इन तमिल व्यंजनों का उठाएंगे आनंद
चमू शास्त्री ने बताया कि आपको साउथ इंडिया के टेस्ट वाला इडली-डोसा, सांभर और उत्तपम खाने को मिलेगा। साथ ही चेत्तीनाद कुसिन, कुंगनाड़ कुसिन, पोरियल (कई तरह की सब्जियों से बना व्यंजन), मोर कुलम्बु (नारियल के साथ दही और मसाले), पुली कुलम्बु, मुरुक्कू, लेमन राइस, नेई पायसम, पोरियाल पोंगल समेत सैकड़ों तरह के व्यंजन खाने को मिलेंगे।
पीएम मोदी का यह ऐसा दांव साबित हो सकता है, जो 2024 लोकसभा की तैयारी में जुटे राहुल गांधी की कोशिश पर पानी फेर सकता है।
– एजेंसी