पीएम मोदी ने पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को एक्स पर भेजा बधाई संदेश

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शहबाज शरीफ ने सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। शरीफ ने ऐसे समय में देश की कमान संभाली है, जब पाकिस्तान आर्थिक बदहाली से बुरी तरह जूझ रहा है। पाकिस्तान में इस समय सरकार की पहली प्राथमिकता देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की है।

पाकिस्तान बिना पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारे इसे ठीक नहीं कर सकता है। यही वजह है कि पाकिस्तान में इस बात की संभावना पर जोर दिया जाता है कि वो भारत से रिश्ते सुधारे। बावजूद इसके कई ऐसे कारण हैं जो ये संकेत देते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच अभी रिश्ते सामान्य नहीं होने वाले हैं।

पाकिस्तान में कमजोर सरकार

विदेश मामलों के विशेषज्ञ सी राजा मोहन ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में बताया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पार्टी पीएमएलएन का रुख भले ही भारत से रिश्ते जोड़ने पर सकारात्मक है लेकिन ये बात भी सच है कि शहबाज शरीफ कई पार्टियों के साथ जोड़तोड़ की सरकार चला रहे हैं। भारत के साथ रिश्ते जोड़ने में ये सबसे बड़ी बाधा है।

पाकिस्तान की राजनीति में भारत विरोध का मुद्दा अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में शहबाज शरीफ को भारत से बातचीत के मुद्दे पर दूसरे सहयोगियों का साथ मिलना मुश्किल है और वे रिस्क भी नहीं उठाना चाहेंगे। उसके मुकाबले भारत में मजबूत सरकार रखने वाले पीएम मोदी के लिए ये रिस्क उठाना आसान होगा।

नवाज शरीफ हुए कमजोर

पाकिस्तान की वर्तमान सत्ताधारी पार्टी पर सबसे ज्यादा असर रखने वाले नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के आम चुनावों के दौरान ये कहा था कि सत्ता में आने पर वे भारत के साथ रिश्ते सुधारेंगे। शरीफ को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी सरकार बनाने लायक सीटें हासिल कर लेगी लेकिन चुनावों में पीएमएलएन के प्रदर्शन ने नवाज शरीफ को बड़ा झटका दे दिया। इसके बाद न सिर्फ नवाज शरीफ को पीएम पद की उम्मीदवारी से हटना पड़ा बल्कि अब उन्हें एक बार फिर से देश में पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए नए तरीके पर भी सोचना पड़ेगा। खासतौर पर तब, जब इमरान खान ने जेल में रहते हुए भी अपने प्रदर्शन से सभी का चौंका दिया है।

पीएम मोदी की लिस्ट में पाकिस्तान नहीं

पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने में एक बड़ी समस्या ये है कि उसकी हरकतों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी प्राथमिकता सूची से उसे हटा दिया है। इसके अलावा भारत अब दूसरे पड़ोसी देशों पर जोर दे रहा है। यहां तक कि कभी पाकिस्तान के बेहद करीबी रहे तालिबान नेताओं से भारत ने जिस तरह से रिश्ते जोड़े हैं, वो भी पाकिस्तान को परेशान कर रहा है। भारत ने ये दिखाया है कि पाकिस्तान के साथ रिश्तों के न होते हुए भी वो आगे बढ़ सकता है।

कश्मीर पर भारत नहीं सुनेगा कोई बात

पाकिस्तान की राजनीति में किसी भी पार्टी के लिए कश्मीर का मुद्दा छोड़ पाना आसान नहीं है। शहबाज शरीफ ने पद संभालते ही कश्मीर पर बयान देकर इसका सबूत भी दे दिया है। पाकिस्तान में कट्टरपंथी धड़ों का कश्मीर को लेकर बहुत दबाव है और वहां की सरकार के लिए इससे निकल पाना मुश्किल है।

पाकिस्तान लगातार जम्मू कश्मीर को लेकर 2019 के पहले की स्थिति में वापस लाने की मांग करता रहता है जबकि मोदी सरकार ने ये साफ कर दिया है कि कश्मीर पर कोई बात नहीं होगी। ऐसे में रिश्तों के फिर से शुरू होने के आसार कम ही हैं।

-एजेंसी