प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आपातकाल की बरसी पर कहा कि यह भारतीय इतिहास का वह कालखंड है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया। आपातकाल के काले दिन हमारे इतिहास का वह कालखंड हैं, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है। यह हमारे संवैधानिक मूल्यों के बिल्कुल विपरीत था।’
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी ट्वीट कर कहा, 25 जून 1975 को एक परिवार ने अपने तानाशाही प्रवृत्ति के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल जैसा कलंक थोपा था। जिसकी निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया। ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन करता हूं।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 जून को आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहा था कि भारत ‘लोकतंत्र की जननी’ है जो लोकतांत्रिक आदर्शों और संविधान को सर्वोपरि मानता है, लिहाजा 25 जून की तारीख को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह वही दिन है जब हमारे देश पर आपातकाल थोपा गया था।
उन्होंने कहा था कि यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने आपातकाल का पूरी ताकत से विरोध किया था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी मन सिहर उठता है।
गौरतलब है कि 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की गई थी और उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। आपातकाल को 21 मार्च 1977 को हटा लिया गया था।
Compiled: up18 News