पायलट ने गहलोत से पूछा, कैसे छूट गए जयपुर सीरियल ब्‍लास्‍ट के आरोपी

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क्या ठीक से नहीं हुई जांच?

पायलट गुरुवार को जयपुर स्थित अपने आवास पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। पायलट ने कहा, ‘गृह विभाग और विधि विभाग को यह देखना होगा कि फांसी की सजा सुनाने के बाद भी यदि उच्च न्यायालय में जांच में खामियों के कारण आरोपी बरी होता है तो यह बेहद गंभीर मामला है। जांच ठीक से नहीं हुई, कमियां रहीं। जिम्मेदार लोगों की जांच होनी चाहिए। यह कैसे हो गया? जरूर किसी ने ब्लास्ट किया होगा।

इसकी जांच होनी चाहिए

पायलट ने कहा कि निचली अदालत ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी। सजा कम करना अलग बात है, लेकिन सबूतों के चलते अगर फांसी की सजा की जगह उन्हें रिहा किया जाता है तो यह बहुत गंभीर मामला है। जज भी नहीं चाहते थे कि आरोपी को छोड़ा जाए, लेकिन सबूतों के अभाव में रिहा करना पड़ा। यह बड़ा मामला है, इसकी जांच होनी चाहिए।

न्याय नहीं मिल पा रहा है, जरूर कुछ कमी है

पायलट ने कहा कि जो लोग मरे हैं, उन्हें हमें जवाब देना होगा। जिन लोगों ने अपराध किया है, उन्हें दंडित करना आवश्यक है। इस मामले को तार्किक परिणति तक ले जाना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस मामले में तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार ब्लास्ट केस के सारे सबूत, दस्तावेजी सबूत इकट्ठा करे और लोगों को न्याय दिलाए। अगर हमें न्यायपालिका से न्याय नहीं मिल पा रहा है तो जरूर कुछ कमी है।

डॉक्टरों का पक्ष सुना जाए

स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल पर पायलट ने कहा कि पिछले 12 दिनों से हड़ताल चल रही है। अस्पताल और डॉक्टर का पक्ष सुनने के बाद कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए। सबसे चिंताजनक बात यह है कि राजस्थान के हजारों लोग मेडिकल इमरजेंसी के कारण इंतजार नहीं कर सकते, ऐसी स्थिति में सुधार के लिए बातचीत जरूरी है। संवाद से सब कुछ संभव है।

मामला बहुत मार्मिक है

पायलट ने कहा- ”अतीत में भी बाधाएं आई हैं। यह टकराव पहली बार नहीं हो रहा है, लेकिन यह मामला बहुत मार्मिक है और प्रदेश के मरीजों को प्रभावित करता है। कई सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजनाओं और अधिकारों को देकर कानून बनाए गए हैं। इस अधिनियम में साथ ही बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए। दोनों पक्षों से बैठकर बात करें ताकि जनता को कोई परेशानी न हो। जिम्मेदारी हम सब की है।”

Compiled: up18 News