पंजाब को आग की लपटों में लेने का खेल शुरू हो चुका है। सत्ता के लिये कोई भी समझौता या षड्यंत्र में भागीदारी से कोई गुरेज़ नहीं है। कुमार विश्वास ने गलत या झूठ नहीं बोला था। यह बात अलग है बहुत देर की सत्य को उजागर करने में।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को पंजाब के पटियाला में काली माता मंदिर के पास दोपहर में दो धार्मिक समूहों के कार्यकर्ताओं में आपस में हिंसक झड़प हुई। पत्थर चले। इस दौरान पुलिस के जवान भी घायल हो गए। झड़प के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर भी पथराव किया। खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। पुलिस पर तलवारें लहराईं। शिवसेना के खालिस्तान विरोधी मार्च को लेकर विवाद हुआ। हिन्दूवादी संगठन और खालिस्तान समर्थकों के बीच यह घटना हुई।
जब हम कहते थे यह किसान आंदोलन नहीं खलिस्तान आंदोलन है, दिल्ली बॉर्डर पर खलिस्तान समर्थक सिखों और आंदोलनजीवी विपक्षियों के अलावा कोई नहीं था, तब विपक्षियों ने नहीं माना। कुछ आंदोलनजीवियों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आंदोलन सरकार के विरुद्ध है देश के विरुद्ध है। किसान आंदोलन में सरकार ने दूरदर्शिता दिखायी। यहाँ तक कि लाल किले पर चढ़ायी पर भी संयम रखा।
सिक्ख अलग धर्म नहीं बल्कि अग्रणी हिन्दू हैं । सर्वस्व दिया हिन्दू धर्म को बचाने में। वे अग्रणी हिन्दू हैं और रहेंगे। घर में एक भाई बाल रखता है दूसरा नहीं। किसी घर में सभी रखते हैं कुछ ग्रंथ साहिब में श्रद्धा रखते हैं लेकिन पगड़ी नहीं, अलग कैसे हो सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय ताकतें देश में फूट का प्रयास करती हैं, षड्यंत्र रचता हैं, हमें इनसे सतर्क रहना है। फूट नहीं पड़नी चाहिये अन्यथा उनका ध्येय पूरा हो जायेगा।
बता दें कि पंजाब चुनाव के दौरान कुमार विश्वास ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ कई बयान दिए। विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने देश को तोड़ने की बात की थी। कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल को खालिस्तान समर्थक बताया था। विश्वास ने दावा किया था कि ‘केजरीवाल ने ख़ुद मुझसे कहा कि अगर मैं पंजाब का सीएम नहीं बना तो इस आज़ाद सूबे का पहला पीएम बनूंगा। केजरीवाल को अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं है।’
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