PM मोदी और CM योगी के लिए राजनीतिक रूप से चुनावी मुद्दा बना दिल्ली से मेरठ रैपिड ट्रैन का संचालन, मातहत कर रहे दौरे पर दौरा

अन्तर्द्वन्द

अधूरे कार्य को पूरे कराने में जोर दे रही योगी सरकार

योगी के मातहत कर रहे दौरे पर दौरा

8 मार्च 2019 को लोकसभा चुनाव के पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली – गाज़ियाबाद – मेरठ की यात्रा सुगम बनाने हेतु रैपिड ट्रैन की आधारशिला रखी थी । 82 किमी की इस परियोजना की कुल कुल लागत 30,274 करोड़ है । पहले दौर मे यह पाँच स्टेशन से होकर जाएगा

मोदी सरकार की बहुप्रतीक्षित योजना से सरकार किसानों के  गढ़ कहे जाने वाले पश्चिम क्षेत्र में अपना जनाधार फिर से बढ़ाना चाहती है। खतौली विधानसभा चुनाव मे करारी हार के बाद भाजपा बैक फुट पर है । रैपिड ट्रैन के माध्यम से भाजपा न सिर्फ दिल्ली वरन मेरठ तक विकास का खाका इस परियोजना से खींचना चाहती है। इसलिए इंजीनियरिंग और निर्माण के कार्यो की गति बहुत ज्यादा बढ़ा दी गयी है । जिसके वजह से कई खामियों तक को नजरंदाज किया जा रहा है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना को शुरू करने लेकर योगी सरकार और केन्द्रीय सरकार पुरजोर तरीके से लगी हुई है। सरकार के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण के सघन दौरों से इसकी अहमियत समझी जा सकती है ।

किसान अंदोलन के बाद भी जिस तरह से भाजपा ने आशा के विपरीत सफलता विधानसभा चुनावों में पाई थी । उसको भाजपा लोकसभा चुनावों तक बरकार रखना चाहती है । जबकि किसान नेता केंद्रीय सरकार द्वारा किसानों के साथ समझौते को वादा खिलाफी बताकर एकबार फिर आए किसानों को एकजुट करके केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की रणनीति के तहत सभा और प्रदर्शन शुरू कर दिया है ।

रैपिड ट्रैन संचालन से भाजपा एक तीर से कई निशाने साधने में जुटी है। पश्चिम में कई लोकसभा सीटों पर संगठन और जनता में व्याप्त असन्तोष खत्म होगा ।  दूसरे विकास के नाम पर भाजपा किसान आंदोलन और अन्य विरोधियों को विकास का रोड़ा साबित करने का भी मुद्दा बनाया जाएगा । जनता में खतौली चुनाव की नकारात्मक छवि से भी उबारा जाएगा ।

एक प्रकार से देखा जाए तो रैपिड ट्रैन का संचालन भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रचार अहम मुद्दा बनेगा । इसको भाजपा भुनाना चाहेगी । जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकार जोर शोर से लगी है । जून 2023 की आखिरी तय सीमा से पहले सरकार हर हाल में इसका संचालन करना चाहती है। भले इसके लिए कोई जुगत ही क्यो न लगानी पड़े ।

अधुरे विकास कार्य फिर भी संचालन पर जोर

उत्तर प्रदेश सरकार पहले रेलखंड के तौर पर साहिबाबाद से लेकर दुहाई तक ट्रैन का संचालन करके किसी तरह जनता को विकास की झलक दिखाना चाहती है । नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन ( एनसीआरटीसी ) द्वारा भले कुछ निकास और प्रवेश द्वारों को कार्यो को छोड़कर पूरे कार्य करने की बात कहता हो लेकिन यही निकास प्रवेश पूरे संचालन का मुख्य बिंदु बनकर उभरेगा । आवागमन के साथ भारी भीड़ की स्थिति में कभी कोई अप्रिय घटना रैपिड ट्रैन संचालन करने वाले  प्रशासन सहित राज्य प्रशासन को भी इसका जवाब देना पड़ेगा ।

अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिये शुरू हुआ खेल

रैपिड ट्रैन संचालन को लेकर  तमाम अनापत्ति प्रमाण पत्रों का दौर शुरू हो गया है । इसको लेकर एनसीआरटीसी  को 100 से ज्यादा अनापत्ति प्रमाण पत्र  विभिन्न संस्थाओ से  लेना है । जिसकी प्रक्रियाओं में भी विभाग लग गया है । कमिश्नर मेट्रो रेलवे सेफ्टी  ( सीएमआरएस) का क्लियरेंस भी अहम कड़ी है । बिना निकास और प्रवेश अथवा अधूरे पड़े  कार्यो पर भी अनापत्ति जारी होगी यह भी सोचनीय है।

-शैलेश पांडेय