पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कुछ दिनों पहले सेवानिवृत्त हुए पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा पर जो बयान दिया है, उसके बाद पाकिस्तान की राजनीति गरमा गई है. इमरान ख़ान ने अपने एक हालिया इंटरव्यू में बाजवा पर ‘डबल गेम’ खेलने का आरोप लगाया था.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस पर कहा है कि इमरान ख़ान की राजनीति का मक़सद सत्ता में वापसी करना है, चाहे इसकी वजह से पाकिस्तान की ज़मीन कमज़ोर होती हो.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी कहा है कि पाकिस्तान में जल्द चुनाव कराना लोकतंत्र को नहीं, इमरान ख़ान के राजनीतिक मनसूबों को सफल करेगा.
ये वो चुनिंदा बयान हैं जो पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं की ओर से आ रहे हैं. पाकिस्तान की अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की ओर से भी इस मुद्दे पर बयानबाज़ी जारी है. लेकिन सवाल उठता है कि पाकिस्तान की राजनीति में ये तूफ़ान खड़ा कैसे हुआ.
इमरान ख़ान ने आख़िर कहा क्या है?
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पत्रकार इमरान रियाज़ ख़ान को दिए इंटरव्यू में कहा है कि ”जनरल बाजवा को एक्सटेंशन देना बहुत बड़ी ग़लती थी, सेना में किसी को एक्सटेंशन नहीं मिलना चाहिए. मैं तब भी सोचता था, लेकिन हालात ऐसे ही बना दिए गए.”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि उन्होंने पीएमएल को भी कुछ आश्वासन दिया होगा. वह सभी को आश्वासन देते रहे. जब जनरल फ़ैज़ को हटाया गया तो यह साफ़ हो गया कि उन्होंने मुझे हटाने का फ़ैसला कर लिया है.”
इमरान ख़ान ने ये भी कहा, “जनरल बाजवा ने डबल गेम खेले हैं. उन्होंने मेरे साथ क्या किया, मैं एक डायरी लेकर पीएम हाउस से निकल गया.”
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के मुखिया इमरान ख़ान ने ये भी कहा कि ”साढ़े तीन साल बाद मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मुझमें कितनी कमज़ोरी है कि मैं उन पर (जनरल बाजवा) भरोसा कर सकता हूं. जनरल बाजवा कहते थे कि देश को बचाने के लिए हमारे हित समान हैं. मुझे नहीं पता था कि मुझे कैसे धोखा दिया गया, झूठ बोला गया.”
इस इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने ये भी दावा किया है कि सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल का विस्तार मिलने के बाद जनरल बाजवा ने अन्य दलों के साथ बातचीत शुरू की और संभवत: जनरल बाजवा की ओर से सहयोगी दलों को कुछ आश्वासन दिया गया था.
इमरान ख़ान ने आईएसआई चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम और आईएसपीआर के उस बयान को भी ख़ारिज किया है जिसमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान सेना पिछले डेढ़ सालों से राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने का रुख़ अख़्तियार किए हुए है.
इमरान ख़ान ने कहा, “मैं साढ़े तीन साल से सरकार में बैठा हूं, मुझे पता है कि इसे कैसे संचालित किया जाता है.”
पाकिस्तानी संसद के पूर्व स्पीकर असद कैसर ने भी इमरान ख़ान का समर्थन करते हुए बाजवा को एक्सटेंशन दिए जाने को एक ग़लती क़रार दिया है.
ये पहला मौका नहीं था जब इमरान ख़ान ने कर्नल जावेद बाजवा या पाकिस्तानी सेना को घेरा हो.
इमरान ख़ान इससे पहले भी सेना की आलोचना करते रहे हैं. लेकिन उनका हालिया बयान पाकिस्तान मुस्लिम लीग – क्यू के नेता मूनिस इलाही के बयान के बाद सामने आया है.
इलाही ने अपने टीवी इंटरव्यू में कहा था कि बाजवा ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ख़ान के पक्ष में वोट करने के लिए कहा था.
क्या बोले शहबाज़ शरीफ़?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने ट्विटर के माध्यम से इमरान ख़ान के इस बयान पर उनकी आलोचना की है.
शरीफ़ ने लिखा है, “इमरान ख़ान ने संसदीय लोकतंत्र के ख़िलाफ़ जो ताज़ा बयान दिया है, वह उनकी ओर से दिए जा रहे लोकतंत्र विरोधी बयानों में शामिल है. उनकी राजनीति का मक़सद सत्ता में वापसी करना है चाहे उसकी वजह से पाकिस्तान के आधार स्तंभ कमजोर हों.”
शहबाज़ शरीफ़ ने रविवार को पूरे दिन इस मुद्दे पर किसी तरह का बयान नहीं दिया. लेकिन आख़िरकार ट्विटर के ज़रिए इमरान ख़ान को घेरने की कोशिश की.
शहबाज़ शरीफ़ के विशेष सहायक अता तरार ने भी इस मुद्दे पर ट्विटर के ज़रिए इमरान ख़ान को घेरने की कोशिश की है.
उन्होंने लिखा है, “जनरल बाजवा के सेवानिवृत्त होते ही तहरीक़-ए-इंसाफ़ के लोगों ने झूठ और पाखंड की सीमाएं तोड़ दी हैं. इमरान नियाज़ी लगातार जनरल बाजवा से असंवैधानिक ढंग से अविश्वास प्रस्ताव रोकने के लिए कहते रहे. जब उन्होंने मना कर दिया तो उन पर ग़लत आरोप लगाए गए. इस असंवैधानिक मांग को पूरा करने के लिए एक आकर्षक ऑफ़र दिया गया था.”
इमरान ख़ान ने इससे पहले कहा था कि अगर इस महीने के अंत तक सत्तारूढ़ दल चुनाव की तारीख़ों का एलान नहीं करते हैं तो उनकी पार्टी पंजाब और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में विधानसभा भंग कर देगी.
वीडियो लिंक के माध्यम से संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने कहा था कि ”मैंने देश के लिए आम चुनाव की तारीख़ पर चर्चा की पेशकश की थी लेकिन पीडीएम (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) ग़लतफहमी में पड़ गया है.
हमने उन्हें सिर्फ़ इतना बताया कि हमने विधानसभा भंग करने का फ़ैसला किया है, लेकिन अगर आपको देश की चिंता है क्योंकि देश डिफ़ॉल्ट (आर्थिक मुश्किल) की ओर जा रहा है, तो आपको आम चुनाव कराना चाहिए. वह मेरा एकमात्र लक्ष्य था. इसके अलावा उनसे कोई बातचीत नहीं हो सकती.”
क्या बोले बिलावल भुट्टो?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने जल्द चुनाव कराने की पीटीआई की मांग को ग़ैरज़रूरी बताया है.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने अल-जज़ीरा को दिए इंटरव्यू में कहा है, “मुझे नहीं लगता कि जल्द चुनाव कराने से पाकिस्तान में लोकतंत्र कैसे मज़बूत होता है. मुझे ये ज़रूर पता है कि ऐसा होने से इमरान ख़ान का राजनीतिक मकसद हल होता है. जब मैं विपक्ष में था तब मैंने इमरान ख़ान से जल्द चुनाव कराने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने ये मांग स्वीकार नहीं की.
इसके बाद मैंने पूरे देश में अभियान चलाया जिसमें मैंने इमरान ख़ान से कहा कि वह अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने से पहले ही संसद भंग करके जल्द चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करें, नहीं तो हम अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए लोकतांत्रिक ढंग से सत्ता से बेदखल करेंगे.”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए ये ज़रूरी है कि मौजूदा संसद अपना पांच साल कार्यकाल पूरा करे. साल 2007 से 2022 तक पाकिस्तान की सबसे अहम लोकतांत्रिक उपलब्धि ये है कि हर संसद ने अपना कार्यकाल पूरा किया.”
Compiled: up18 News
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