अमित शाह के बयान से बौखलाया पाक, कश्मीर पर पारित कानून झूठे बताए

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पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्‍ता मुमताज जहरा बलोच ने आरोप लगाया कि भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया कानून कश्‍मीरियों के दमन का एक प्रयास है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान अमित शाह के इस बयान को खारिज करता है। उन्‍होंने कहा कि कोई भी बयानबाजी इसको झूठा नहीं कर सकती है कि कश्‍मीर एक अंतर्राष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त मुद्दा है।

इससे पहले शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा था कि नए संशोधन विधेयक के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 24 सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए आरक्षित की गई हैं ”क्योंकि पीओके हमारा है।”

पीओके के लिए सीटें आरक्षित

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की थी। शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार नौ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति के लिए भी सीट आरक्षित की गई है। उनका कहना था, ‘पहले जम्मू में 37 सीट थीं जो अब 43 हो गई हैं, कश्मीर में पहले 46 सीट थीं जो अब 47 हो गई हैं और पाक-अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीट आरक्षित रखी गई हैं क्योंकि पीओके हमारा है।’

अमित शाह ने कहा कि 1994 से 2004 के बीच कुल 40,164 आतंकवाद की घटनाएं हुईं, 2004 से 2014 के बीच ये घटनाएं 7,217 हुईं और नरेन्द्र मोदी सरकार के नौ वर्षों में 70 प्रतिशत की कमी के साथ ये घटनाएं सिर्फ 2,197 रह गईं।

शाह ने लोकसभा में यह भी कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान हुए दो ‘बड़े ब्लंडर’ (गलतियों) का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा। उनका कहना था कि नेहरू की ये दो गलतियां 1947 में आजादी के कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम करना और जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की थी।

शाह ने नेहरू पर साधा निशाना

गृह मंत्री ने कहा कि अगर संघर्ष विराम नहीं हुआ होता तो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) अस्तित्व में नहीं आता। नेहरू के संदर्भ में शाह की टिप्पणियों का विरोध करते हुए कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। अमित शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे और 2026 तक जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा। गृह मंत्री के जवाब के बाद इन दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई।

-Compiled by up18 News