आतंकवाद से निपटने की प्राथमिकता ही SCO को बना सकती है विश्वसनीय संगठन: भारत

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एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों को संबोधित करते हुए सिंह ने जोर देकर कहा कि किसी भी तरह का आतंकवादी कृत्य या किसी भी रूप में इसका समर्थन मानवता के खिलाफ एक बड़ा अपराध है। जहां यह खतरा है, वहां शांति और समृद्धि नहीं रह सकती।

रक्षा मंत्री ने कहा, यदि कोई राष्ट्र आतंकवादियों को आश्रय देता है तो यह न केवल दूसरों के लिए बल्कि स्वयं उसके लिए भी खतरा पैदा करता है। युवाओं का कट्टरपंथी होना न केवल सुरक्षा की दृष्टि से चिंता का कारण है, बल्कि यह राष्ट्र के मार्ग में एक बड़ी बाधा भी है। यदि हम एससीओ को एक मजबूत और अधिक विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाना चाहते हैं तो हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने की होनी चाहिए।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत क्षेत्रीय सहयोग के एक मजबूत ढांचे की कल्पना करता है जो सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है और उनके वैध हितों का ख्याल रखता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नई दिल्ली एससीओ के सदस्यों के बीच विश्वास और सहयोग को और बढ़ाने का प्रयास करता है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के प्रावधानों के आधार पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने में विश्वास करता है।

उन्होंने कहा, भारत ने हमेशा ‘आइए साथ चलें और एक साथ आगे बढ़ें’ के सिद्धांत का पालन किया है।

सिंह ने ‘सिक्योर’ (एस- नागरिकों की सुरक्षा, ई- सभी के लिए आर्थिक विकास, सी- क्षेत्र को जोड़ना, यू- लोगों को एकजुट करना, आर- संप्रभुता और अखंडता के लिए सम्मान, ई- पर्यावरण संरक्षण) की अवधारणा पर भी विस्तार से बताया। चीन के किंगदाओ में 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवधारणा का प्रतिपादन किया था।

उन्होंने कहा कि ‘सिक्योर’ शब्द का प्रत्येक अक्षर क्षेत्र के बहुआयामी कल्याण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दशार्ता है।

राजनाथ सिंह ने ‘सिक्योर’ के विभिन्न आयामों की ओर सदस्य देशों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि आज दुनिया का एक बड़ा हिस्सा खाद्य संकट से गुजर रहा है। उन्होंने एससीओ सदस्य देशों से एकीकृत योजना के तहत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

सिंह ने सदस्य राज्यों के बीच अंतर को बढ़ाने के लिए एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा शुरू की गई दो रक्षा-संबंधी गतिविधियों को भी छुआ।

उन्होंने प्रशिक्षण और सह-निर्माण तथा वस्तुओं के सह-विकास के माध्यम से एससीओ सदस्य देशों की रक्षा क्षमता निर्माण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को आवाज दी। उन्होंने कहा कि चूंकि सुरक्षा चुनौतियां किसी एक देश तक सीमित नहीं हैं, इसलिए भारत साझा हितों को ध्यान में रखते हुए रक्षा साझेदारी के क्षेत्र में सहयोगी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है।

इससे पहले राजनाथ सिंह ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में एससीओ को एक विकसित और मजबूत क्षेत्रीय संगठन के रूप में वर्णित किया। यह रेखांकित करते हुए कि भारत इसे सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में देखता है।

विचार-विमर्श के अंत में सभी एससीओ सदस्य देशों ने क्षेत्र को सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने के लिए अपनी सामूहिक इच्छा व्यक्त करते हुए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। अपने समापन भाषण में सिंह ने समसामयिक चुनौतियों से निपटने के दौरान क्षेत्र में समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया।

बैठक के बाद, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि सभी सदस्य राष्ट्र आतंकवाद से निपटने, विभिन्न देशों में कमजोर आबादी की सुरक्षा के साथ-साथ एचएडीआर सहित सहयोग के कई क्षेत्रों पर आम सहमति पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य देश अपने बयानों में एकमत थे कि आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए और इसका सफाया किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में सहयोग के लिए पहचाने गए कई क्षेत्रों पर कार्रवाई की जाएगी और एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत इस क्षेत्र और पूरे विश्व के लिए एक सुरक्षित और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने में आगे बढ़कर नेतृत्व करेगा।

अरमाने ने कहा कि रक्षा मंत्रियों ने बैठक के दौरान एससीओ के चार्टर के तहत क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों सहित आम चिंता के मुद्दों पर चर्चा की।

Compiled: up18 News