आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम केवल ये देखेंगे कि फैसला लेने में संविधान का पालन हुआ या नहीं

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इसके जवाब में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- जब तक हम यह स्वीकार नहीं करते कि धारा 370 साल 2019 तक अस्तित्व में थी, संसद के अधिकार क्षेत्र पर कोई रोक नहीं होगी। अगर हम आपकी दलील मान लें तो संसद की शक्ति पर कोई रोक नहीं लगेगी।

इससे पहले 7वें दिन की सुनवाई में वकील दुष्यंत दवे ने तर्क दिया था कि, आर्टिकल 370 को आर्टिकल 370 (3) का इस्तेमाल करके खत्म नहीं किया जा सकता था। सरकार ने अपने हितों के चलते ऐसा किया।

जिसके जवाब में कोर्ट ने कहा था- हमारा काम यह देखना है कि मामले में संविधान का उल्लंघन हुआ है या नहीं। इसके पीछे सरकार की मंशा क्या थी, यह पता करना हमारा काम नहीं है।

पांच जजों की बेंच कर रही सुनवाई

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पहले तीन दिन 2, 3 और 8 अगस्त को एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें दी थीं। इसके बाद गोपाल सुब्रमण्यम ने 9 और 10 अगस्त को दलीलें दीं। फिर 15, 16 और 17 अगस्त को वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे, शेखर नफाड़े और दिनेश द्विवेदी ने धारा 370 को निरस्त करने के खिलाफ बहस की।

22 अगस्त कोर्ट रूम LIVE

आठवें दिन की सुनवाई में सबसे पहले याचिकाकर्ता की तरफ से आए सीनियर एडवोकेट दिनेश द्विवेदी ने दलीलें दी।
द्विवेदी: कश्मीर का भारत में बाकी राज्यों से अलग तरीके से विलय हुआ। बाकी राज्यों ने 1947 से पहले ही स्टैंडस्टिल समझौते कर लिए थे, क्योंकि स्टैंडस्टिल समझौता विलय की पूर्व शर्त थी। कश्मीर ने ऐसा नहीं किया।

द्विवेदी: कश्मीर को लेकर शर्त थी कि, हम भारत के संविधान से बंधे नहीं हैं, आंतरिक संप्रभुता राज्य के पास थी।

द्विवेदी: कश्मीर में जो आर्टिकल 370 लागू की गई वह 1957 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बनने तक थी। संविधान सभा भंग होते ही यह अपने आप खत्म हो गई।

CJI: आर्टिकल 370 की ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं जो दर्शाती हैं कि जम्मू-कश्मीर संविधान बनने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसका मतलब है भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होने के मामले में 1957 तक ही स्थिर रहेगा। इसलिए, आपके अनुसार, भारतीय संविधान में कोई भी आगे का विकास जम्मू-कश्मीर पर बिल्कुल भी लागू नहीं हो सकता है। इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है?

CJI: यदि आर्टिकल 370 समाप्त हो जाती है और धारा 1 लागू रहती है – तो जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। अनुच्छेद 5 कहता है कि राज्य की विधायी और कार्यकारी शक्तियां उन मामलों को छोड़कर सभी मामलों तक विस्तारित होंगी। इससे पता चलता है कि भारतीय संविधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होता है।

CJI: जब तक हम यह स्वीकार नहीं करते कि आर्टिकल 370 साल 2019 तक अस्तित्व में था, संसद के अधिकार क्षेत्र पर कोई रोक नहीं होगी।

CJI: अगर हम आपकी दलील मान लें तो संसद की शक्ति पर कोई रोक नहीं लगेगी।

जस्टिस कौल: द्विवेदी की दलील से लगता है कि पिछले कुछ दशकों में जो कुछ हुआ वह गलत है, किसी ने संविधान को नहीं समझा।

Compiled: up18 News