प्रवासी भारतीयों ने अपने स्वयं के मील के पत्थर स्थापित किए: एस जयशंकर

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इस दौरान उन्होंने भारत-फिजी संबंधों की भी सराहना की। उनहोंने कहा, जब हम इंडो-पैसिफिक को देखते हैं, तो हम फिजी को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखते हैं जिसके साथ एक ऐतिहासिक और स्थापित संबंध है।

फिजी एक दिलचस्प दौरा

विदेश मंत्री ने कहा, मैं फिजी की अपनी पहली यात्रा पर हूं। यहां आने के दो दिनों बाद मैं सोच रहा हूं कि मुझे यहां पहुंचने में इतना समय क्यों लग गया। उन्होंने कहा, यह एक दिलचस्प दौरा रहा, मैंने यहां आकर बहुत कुछ सीखा। विदेश मंत्री ने आगे कहा, आज भारत की विदेश नीति बहुत सारी गहरी सामाजिकत-आर्थिक चिंताओं को प्रतिबिंबित करने लगी है। जैसे हम भारत के भीतर दुनिया को बदल रहे हैं, वैसे ही हम बाहर की दुनिया को भी बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा, तुर्किये में भूकंप आने के मात्र 24 घंटों के भीतर ही भारत वहां  एक बचाव दल के साथ एक विमान भेजने और एक फील्ड अस्पताल स्थापित करने में सक्षम था।

विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए फिजी पहुंचे हैं विदेश मंत्री 

बता दें, एस जयशंकर 15-17 फरवरी तक फिजी की आधिकारिक यात्रा पर हैं। वह यहां विदेश मंत्रालय और फिजी सरकार द्वारा सह-मेजबानी किए जा रहे 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं। गुरुवार को उन्होंने फिजी के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की।

उन्होंने कहा, भारत और फिजी के लोगों का लोगों से संबंध है और दोनों देशों के बीच संबंध काफी पुराने भी हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे राष्ट्र निर्माण वाले क्षेत्रों में फिजी की मदद करना हमारे लिए खुशी की बात है।

विदेश मंत्री ने कहा कि हमने फिजी के गन्ना उद्योग में काम किया है। साथ ही हम अक्षय ऊर्जा और छोटे और मध्यम उद्योगों को आईटी सपोर्ट मुहैया कराने पर भी विचार कर रहे हैं। फिजी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील इलाका है और भारत हमेशा फिजी के मुश्किल समय में उसके साथ खड़ा रहा है। कोरोना जैसे समय में हमने फिजी की मदद की और वैक्सीन मैत्री के तहत फिजी को एक लाख वैक्सीन की डोज भेजी गईं थी।

Compiled: up18 News