अब बड़ी दवा कंपनियों का भी चीन से मोह भंग, भारत में बन रहा है पहली पसंद

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चीन से मोह भंग

दवा बनाने वाली कंपनियों का चीन से मोह भंग हो रहा है। फार्मा कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रही है। ड्रगमेकर्स चीनी कॉन्ट्रैक्टर्स पर अपनी निर्भरता को घटाने की कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि फार्मा कंपनियों के लिए चीनी कॉन्ट्रैक्टर क्लीनिकल ट्रायल्स और प्रारंभिक चरण के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का उत्पादन करते हैं। अब फार्मा कंपनियां चीनी कॉन्ट्रैक्टर पर अपनी निर्भरता को कम करने लगी हैं। कम लागत और तेज रफ्तार के कारण चीन फार्मास्युटिकल रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग के लिए दवा कंपनियों का पसंदीदा जगह हुआ करता था, लेकिन चीन के सख्त रवैये और अमेरिका के साथ बढ़ते ट्रेड वॉर के बाद से फार्मा कंपनियां चीन से दूरी बढ़ाने लगी है।

भारत के लिए मौका

चीन से बढ़ती दूरी भारत के लिए अवसर से कम नहीं है। बायोटेक कंपनियां क्लिनिकल ट्रायल, रिसर्च और आउटसोर्स के लिए भारतीय मैन्युफैक्टरिंग कंपनियों के साथ काम करने पर विचार कर रही है। बायोटेक कंपनियां चीन से दूरी बनाने लगी है। डायबिटीज और मोटापे के उपचार के लिए दवा बनाने वाली फार्मा कंपनी ग्लाइसेंड थेरेप्यूटिक्स के फाउंडर आषीन निमगांवकर की माने तो ऐसे कई फैक्टर्स हैं, जिसने चीन को बायोटेक कंपनियों के लिए कम आकर्षक बना दिया है। कंपनियां चीन ते बजाए भारतीय कंपनियों के साथ काम करने में रुचि दिखा रही है।

चीनी कंपनियों के मुकाबले भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता दी जा रही है। भारतीय कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑर्गेनाइजेशन ( CDMOs) को प्राथमिकता मिल रही है। भारत के चार प्रमुख सीडीएमओ सिनजीन, एराजेन लाइफ साइंसेज, पीरामल फार्मा सॉल्यूशंस, साई लाइफ साइंसेज के मुताबिक उन्हें बायोटेक कंपनियों खासकर पश्चिमी फार्मा कंपनियों की ओर से अधिक इंटरेस्ट देखने को मिल रहा है।

भारत में बढ़ रही दिलचस्पी

चीन में कोरोना के बाद से बिगड़े हालात के बाद से कंपनियां चीन से मुंह मोड़ रही है। कंपनियां चीन से अपना पैसा निकाल रही हैं। वहीं भारत चीन का बड़ा विकल्प बनकर उभर रहा है। चीन के बजाए भारत में विदेशी कंपनियों का निवेश बढ़ रहा है। ऐपल, फॉक्सकॉन, माइक्रॉन जैसी कंपनियों ने चीन से निवेश के बजाए भारत में निवेश बढ़ाया है। वहीं अमेरिका की दिग्गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने भी चीन को झटका दिया है।

वॉलमार्ट ने कहा है कि वो अब ज्यादा से ज्यादा गुड्स भारत से इंपोर्ट कर रहा है। वॉलमार्ट ने चीन पर अपनी निर्भरता को लगातार कम कर रहा है। साल 2023 में जनवरी से अगस्त के दौरान कंपनी ने अमेरिका में किए गए इंपोर्ट्स में से एक चौथाई भारत से आयात किया है।

Compiled: up18 News