भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने मीडिया को लेकर एक बयान दिया, जिस पर पूरे देश में चर्चा हो रही है। दरअसल, एक कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मीडिया ट्रायल न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं। वहीं सीजेआई की इस टिप्पणी पर कानून मंत्री किरण रिजिजू का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि दुनिया के किसी अन्य देश में न्यायपालिका को भारत जैसी आजादी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के बयान पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, “सीजेआई रमना द्वारा इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया ट्रायल पर की गई टिप्पणियां भारत और दुनिया भर में मौजूदा स्थिति के अनुसार उनका अवलोकन है। अगर किसी को ऐसा लगता है तो हम सार्वजनिक डोमेन में इस पर चर्चा कर सकते हैं। उन्होंने अभी जो कहा उस पर मैं अभी टिप्पणी करना नहीं चाहता हूं।”
न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर किरण रिजिजू ने कहा कि भारतीय न्यायाधीश और न्यायपालिका पूरी तरह से सुरक्षित हैं और मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि कोई भी न्यायाधीश या न्यायपालिका दुनिया में कहीं भी उतनी स्वतंत्र नहीं है, जितनी भारत में है।
क्या कहा था सीजेआई ने?
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा, “न्याय के मुद्दों पर कम जानकारी और एजेंडा संचालित बहस लोकतंत्र के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है। मीडिया की ओर से प्रचारित पक्षपातपूर्ण विचार लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। इससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है और न्याय व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। मीडिया ने लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जाकर और व्यवस्था को नुकसान पहुंचाकर अपनी जिम्मेदारी का उल्लंघन किया है।”
सीजेआई ने आगे कहा, “प्रिंट मीडिया की अब भी कुछ हद तक जवाबदेह है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की जवाबदेही कुछ भी नहीं है। सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों के खिलाफ अभियान और मीडिया ट्रायल न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। कंगारू अदालतें और पक्षपातपूर्ण विचार मीडिया द्वारा प्रचारित किए जा रहे हैं जो न्याय प्रणाली को प्रभावित कर रहे हैं।”
सीजेआई के बयान पर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मीडिया को यह आत्ममंथन करना चाहिए कि क्या मीडिया ने लक्ष्मण रेखा को क्रॉस किया है। सीजेआई के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा हो रही है।
-एजेंसी