म्‍यांमार ने चीन और पाक द्वारा तैयार फाइटर जेट जेएफ-17 को कबाड़ बताया

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साल 2016 में हुई थी डील

विशेषज्ञों के मुताबिक म्‍यांमार के पास ऐसे तकनीकी विशेषज्ञ नहीं हैं कि वो इस जेट में आई खराबी को ठीक कर सकें। साल 2016 में म्‍यांमार ने चीन ने 16 जेएफ-17 खरीदने की डील की थी। हर जेट के लिए 25 मिलियन डॉलर की रकम चीन को अदा की गई थी।

पहले छह जेट म्‍यांमार को साल 2018 में मिले थे। बाकी के 10 जेट्स के बारे में कोई भी जानकारी दोनों देशों की तरफ से नहीं दी गई है। इस डील के साथ ही म्‍यांमार दुनिया का वह पहला देश बन गया था जिसने चीन-पाकिस्‍तान की तरफ से तैयार इस जेट को खरीदा था। साल 2018 में ही म्‍यांमार की वायुसेना ने इन्‍हें आधिकारिक तौर पर अपने बेड़े में शामिल किया था।

भारत को निशाना बनाना मकसद

दिसंबर 2018 में म्‍यांमार के तत्‍कालीन आर्मी चीफ मिन आंग हलिंग ने चार ऐसे जेट्स को बाहर कर दिया था जिनमें तकनीकी खराबी पाई गई थी। इन जेट्स को मीकटिला एयर बेस पर जारी कार्यक्रम के बीच से हटाया गया था। इसके बाद दिसंबर 2019 में दो और जेट्स को वायुसेना के 72वें स्‍थापना दिवस के मौके पर शामिल किया गया था। पाकिस्‍तान एरोनॉटिकल कॉम्‍प्‍लेक्‍स और चेंगदू एरोस्‍पेस कोऑपरेशन की तरफ से जेएफ-17 को तैयार किया गया है।

इसे डेवलप करने का पहला मकसद भारत की वायुसेना के खिलाफ चीनी वायुसेना को मजबूत करना था। इन जेट्स में रूस की किमोव RD93 एरोइंजन लगा है। साथ ही इसका एयरफ्रेम चीन में तैयार हुआ है। चीन का दावा है कि जेट्स को हवा से हवा में हमला करने वाली मध्‍यम रेंज की मिसाइलों, 80 एमएम और 240 एमएम के रॉकेट्स के साथ ही 500 पौंड के बमों से लैस किया जा सकता है।

सबसे खराब रडार

इस जेट में चीन की बनी KLJ-7AI रडार दी गई है और विशेषज्ञ इसे सबसे खराब करार देते हैं। उनका कहना है कि इस रडार की क्षमता बहुत ही खराब है और इसके रखरखाव में भी समस्‍या आती है। साथ ही इस एयरक्राफ्ट में बियॉन्‍ड विजुअल रेंज यानी बीवीआर मिसाइल या फिर हवा में दुश्‍मन का पता लगाने वाली इंटरसेप्‍शन रडार भी नहीं है।

म्‍यांमार एयरफोर्स के एक पायलट की मानें तो वेपन मिशन मैनेजमेंट कम्‍प्‍यूटर में खराबी आने की वजह से बीवीआर मिसाइल भी लॉन्‍च जोन में फुस्‍स हो गई। जेट का एयरफ्रेम भी कभी भी खराब हो सकता है। इसके विंगटिप्‍स और हार्डप्‍वाइंट्स भी खामियों से भरे हुए हैं।

पाकिस्‍तान में ट्रेनिंग

म्‍यामांर की समस्‍या है कि उस पर कई तरह के व्‍यापार प्रतिबंध लगे हैं। इस वजह से सैन्य शासन JF-1 के लिए मिसाइल और बम नहीं खरीद सकता है। इस समस्‍या से छुटकारा पाने के लिए यहां के शासन ने पाकिस्तानी सेना के साथ साझेदारी की है। समय-समय पर ट्रेनी पायलट्स को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा जाता है। पाकिस्‍तान के साथ बमों और रॉकेट्स की डील भी हुई थी। लेकिन पूर्व पायलटों की मानें तो जेएफ-17 का वेपन सिस्‍टम म्‍यांमार के पायलटों के लिए काफी मुश्किल है।

Compiled: up18 News


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