मोदी जी कश्मीरी पंडितों पर गाल मत बजाइये, दम है तो कश्मीर में बसा के दिखाइए

अन्तर्द्वन्द

56 इंच की जिह्वा नही 56 इंच के सीने का दम जनता के सामने लाइये

8 साल से बीजेपी सरकार है, अब तक क्यों नही हुआ कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास ?

अमित मौर्या
अमित मौर्या

वाराणसी। फ़िल्म कश्मीर फाइल के बाद से ही कश्मीरी पंडितों के ऊपर अत्याचार पलायन की कहानी सबकी जुबान पर है।
कोई फ़िल्म को मुफ्त प्रदर्शित करने की बात कर रहा है, तो कोई इसे गड़े मुर्दे उखाड़कर माहौल को एक समुदाय के खिलाफ बनाने का आरोप लगा रहा है।

बहुतों का कहना यह है की मोदी सरकार जनमुद्दों से मुंह छुपाने और मंदी महंगाई जैसे सवालों से ध्यान भटकाने के लिये यह सब करवा रही है। क्योंकि ज़ख्म गर भर रहा हो तो उसे कुरेदा जायेगा।
गर रहनुमा होगा तो वह मलहम लगाएगा।

वाकई यह कश्मीरी पंडितों का ज़ख्म ही तो जिसे तीन दशक बाद कुरेदा जा रहा है। देखा जाय तो पूरे देश में कश्मीरी पंडितों का मुद्दा फैलाया जा रहा है,मगर उन्हें कश्मीर में पुनःबसाने की बात बहुत कम लोगों के मुंह से निकल रहा है।
यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कश्मीर फाइल्स फ़िल्म को लेकर कहा कि फिल्म में वह सच दिखाया गया है जिसे कई सालों तक दबाया गया।

मगर आश्चर्य यह है कि पिछले 8 साल से बीजेपी सरकार है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। मगर कश्मीरी विस्थापितों के लिये उन्होंने अब तक क्या किया..? यह सवाल तो जहन में बार-बार लगातार आयेगा। क्योंकि कश्मीरी पंडितों का दर्द गाल बजाने या सहानुभूति जताने से तो जायेगा नही,जाएगा तो उनके पुनर्वास से। फिर क्यों मोदी जी 56 की दमदारी दिखाते हुए 8 साल में सभी कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में बसा नहीं पायें? इसपर कहीं न कहीं सवाल उठेगा की बीजेपी फ़िल्म के सहारे अपना प्रोपेगेंडा तो नहीं चला रही? ताकि मामले का सियासी फायदा ले सके । मोदी जी के नेतृत्व में बीजेपी अपने दूसरे कार्यकाल में है। मगर निर्वासित कश्मीरी पंडितों को छोटे मोटे लाभ ( जिसमें मंथली आर्थिक मदद ) देने के अलावा बहुत कुछ कश्‍मीरी पंडितों के लिए नहीं किया!

अगर वाकई मोदी सरकार विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों को लेकर चिंतित है। उन्हें वहां बसाने के साथ सुरक्षा सुविधा और विश्वास दे। ऐसा माहौल न दे कि वह वहाँ के फिजाओं में घुलमिल ही न पायें।मगर फ़िल्म के हवाले से जिस तरह माहौल को गन्दला बनाया जा रहा है। उससे कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के बाद में दिक्कत होने से इंकार नहीं किया जा सकता।

कश्मीर से मोदी सरकार ने जब अनुच्छेद 370 हटा दिया तो देश के साथ कश्मीरी पंडितों को भी आस जगी की उन्हें जल्द ही बसाया जायेगा। मगर अब तक तो नतीजा बहुत बेहतर तो नही है।

पीएम मोदी से मेरा तीखा सवाल है की और आपकी पार्टी यह बात प्रचारित करती है कि कश्मीरी पंडितों को उजड़ने बसाने में पूर्व की सरकारों ने रुचि नही ली। लेकिन अब आपकी पूर्ण बहुमत से सरकार चल रही है। आप ने भी कश्मीरी पंडितों को कब पुनर्स्थापित करेंगे।

सवाल तो यह भी बनता है कि उस समय केंद्र में सरकार जनता दल की थी बीजेपी ने बाहर से समर्थन दिया था, तो…जिम्मेदारी किसकी की थी.? खैर मोदी जी के पास दूसरे कार्यकाल का दो साल का वक्त बचा है,इसलिए वह गाल न बजायें,बल्कि कश्मीरी पंडितों को बसाने की योजना पर त्वरित कार्यवाही को अमल में लायें।

-अचूक संघर्ष