कानपुर की एक अदालत ने योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री राकेश सचान को एक साल की सजा सुनाई है। सजा के अलावा उन पर 1500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह सजा 31 साल पुराने आर्म्स एक्ट मामले में सुनाई गई है।
शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री राकेश सचान को शस्त्र अधिनियम के तीन दशक से अधिक पुराने मामले में दोषी ठहराया, जिसके बाद मंत्री ‘जमानत मुचलका’ भरे बिना अदालत कक्ष से ‘गायब’ हो गए थे। आदेश लेकर फरार हो जाने वाले एमएसएमई (लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम) मंत्री राकेश सचान के खिलाफ अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय आलोक यादव के निर्देश के बाद देर शाम पेशकार ने कोतवाली में तहरीर दी।
क्या है मामला
कानपुर के नौबस्ता में 13 अगस्त 1991 को तत्कालीन एसओ बृजमोहन उदेनिया ने राकेश सचान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें आरोप है कि उनके पास से राइफल बरामद हुई थी जिसका वह लाइसेंस नहीं दिखा सके। वहीं नौबस्ता में हुई छात्र नेता नृपेंद्र सचान की हत्या के मामले में भी इसी राइफल का प्रयोग किए जाने की बात सामने आई थी। मामले में सभी गवाही पूरी हो चुकी थी। शनिवार को फैसला सुनाया जाना था। सुबह ही मंत्री राकेश सचान लाव लश्कर के साथ कोर्ट पहुंच गए थे।
अभियोजन अधिकारी रिचा गुप्ता ने बताया कि अंतिम बहस सुनने के बाद कोर्ट ने राकेश सचान को आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार दे दिया। सजा के बिंदु पर सुनवाई हो रही थी। उन्होंने एक्ट के तहत अधिकतम सजा सुनाए जाने की मांग की थी। वहीं राकेश सचान के अधिवक्ता अविनाश कटियार का तर्क था कि बरामद राइफल राकेश के नाना की थी।
-एजेंसी
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