मेरठ में स्थित हनुमान मंदिर और इसकी मान्यता पूरे पश्चिम उप्र में हनुमान सिद्धपीठ मंदिर के रूप में है. कहा जाता है कि इस सिद्धपीठ मंदिर में दूर-दूर से बजरंगबली के भक्त माथा टेकने और पूजा करने आते हैं।
हिंदू धर्म में हर साल चैत्र महीने की शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन राम के अनन्य भक्त हनुमान हनुमान का जन्म हुआ था और देश में लाखो हिंदू भक्त इस दिन को हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाते हैं। भगवान हनुमान के हजारों ऐसे स्थल और मंदिरें हैं जहां लोगों की खास भीड़ दिखती है। इन्हीं में एक है मेरठ का ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिर के दर्शन जहां 160 साल से लगातार भक्तों की इच्छाएं पूरी होती रही हैं।
मेरठ में शहरवासियों के लिए बुढ़ाना गेट स्थित सिद़ध पीठ हनुमान मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। शहर के बीचों बीच स्थित यह मंदिर 160 वर्ष पुराना है। इस मंदिर की महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर हनुमान जी के दर्शन 24 घंटे किए जा सकते हैं। देर रात भी बाहर भक्त दर्शन करते देखे जा सकते हैं।
दोनों बाल ब्रह़मचारी
इस मंदिर के प्रबंधन से जुड़े डा गौरव पाठक ने बताया कि शिव धन और उनके भाई छोटे लाल ने हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी। वह दोनों बाल ब्रह़मचारी थे। उस समय मूर्ति 15 फुट की उंचाई पर थी। यहां से बुढ़ाना के लिए तांगे जाते थे और यहां पर गेट हुआ करता था इसीलिए इसे बुढ़ाना गेट कहते हैं। दोनो भाई अखाड़े का संचालन करते थे।
ऐसे संभाली मंदिर की जिम्मेदारी
यहां पर दंगल का आयोजन होता था जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते थे। मंदिर में राहगीरों के लिए प्याउ भी थी। वृद्धा अवस्था में देखरेख के लिए दोनों भाईयों ने अपने भांजे को प्रयागराज से बुलाया था। वह 1935 में आए थे। 1985 तक उन्होंने मंदिर की जिम्मेदारी संभाली। उनके बाद उनकी बेटी कृष्णा पाठक और अनिल पाठक के कंधों पर यह जिम्मेदारी रही। वर्ष 2015 में मंदिर में व्यापक जीर्णोद्धार हुआ है। प्रथम तल पर राधा कृष्ण की चांदी निर्मित मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
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