सीबीआई के बाद ईडी केस में भी मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत, 17 अप्रैल तक कोर्ट ने फिर बढ़ाई न्यायिक हिरासत

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दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के पूर्व पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ जो केस दर्ज किया है उसमें अदालत ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के बाद उन्हें 17 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। गौरतलब है कि ईडी द्वारा दर्ज मामले में आज सिसोदिया की न्यायिक हिरासत खत्म होने के बाद उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया है।

इससे पहले अदालत ने सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में भी मनीष सिसोदिया को 17 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा हुआ है। ऐसे में अब उनका 17 अप्रैल से पहले जेल से बाहर आ पाना मुश्किल है।

मनीष सिसोदिया के वकील विवेक जैन ने अदालत में दलीलें रखते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया और उनके परिवार के अकाउंट में एक भी पैसा नहीं आया है। ईडी ने उनके घर पर छापा भी मारा था और बैंक अकाउंट भी चेक किया था। यहां तक कि वो सिसोदिया के पैतृक निवास पर भी गए। जहां तक मनी लॉन्ड्रिंग की बात है तो उनके खिलाफ इसमें कोई केस नहीं बनता।

वकील विवेक जैन ने कहा, मनीष के खिलाफ पीएमएल की धारा में कोई केस नहीं है। पीएमएलए एक्ट की धारा 45 उनके खिलाफ तब ही लगेगी जब धारा 3 के तहत उनके खिलाफ कोई जुर्म सामने आएगा।

सिसोदिया के वकील की बहस खत्म होने के बाद ईडी के वकील ने कहा कि हम ताजा सबूतों को जुटाने में लगे हुए हैं। अब भी इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण सुबूत हैं जो सामने नहीं आए हैं।

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने सिसोदिया की जमानत पर बहस के लिए 12 अप्रैल की तारीख तय की है। वहीं सीबीआई केस के बाद अब ईडी द्वारा दर्ज मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 17 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है।

गौरतलब है कि सीबीआई ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। सीबीआई द्वारा 26 फरवरी को आप नेता को गिरफ्तार किए जाने के बाद ईडी ने भी उन्हें इसी मामले में 9 मार्च को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी ने अदालत को सूचित किया था कि पूर्व उपमुख्यमंत्री के ईमेल और मोबाइल से भारी मात्रा में डेटा का भी फोरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है।