कागज-कलम छूटने के दर्द से पीड़ित हैं सुप्रीम कोर्ट के कई माननीय जज साहब

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कुछ ऐसी ही स्थिति सुप्रीम कोर्ट के माननीय जजों के सामने आ गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली-केंद्र के बीच सर्विस पर किसका अधिकार मामले की सुनवाई पेपरलेस करने का आदेश दे दिया है।

कागज-कलम छूटने का दर्द!

चीफ जस्टिस के 5 जजों की संविधान पीठ को ये आदेश दिया है। इस आदेश से जस्टिस एम आर शाह और कुछ वरिष्ठ वकीलों के सामने बड़ी दुविधा हो गई है। ये लोग वर्षों से कागज-कलम से काम करने के आदी रहे हैं। अब उन्हें सीधे उन्हें कंप्यूटर पर काम करना होगा। जज साहब और वकील साहब को अब अपनी दशकों पुरानी आदत को छोड़ना होगा और इसका उन्हें बेहद दर्द है।

लैपटॉप पर करना होगा काम

जस्टिस एम आर शाह ने कहा, ‘चीफ जस्टिस ने मुझे लैपटॉप पर काम करने को कहा है। मैं अपने जज के पूरे करियर के दौरान कागज-कलम पर लिखने का आदी रहा हूं लेकिन अब वो हमें लैपटॉप पर काम कराना सिखाना चाहते हैं।’

वकीलों को निब वाले पेन की याद आई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को भी इस आदेश के कारण बड़ी तकलीफ उठानी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि हमें शुरुआत में तो रिटन सबमिशन और केस लॉ को लैपटॉप पर करने में दिक्कत हुई। उन्होंने कहा कि हमने अपने पूरे करियर कागज-कलम का ही इस्तेमाल किया था। सिंघवी ने तो अपने पुराने दिनों को याद किया।

उन्होंने बताया कि कैसे वह मोटे निब वाले पेन से लिखने के शौकीन थे। इसमें वह महत्वपूर्ण बिंदुओं को हाईलाइट करने के लिए अलग-अलग कलर के स्याही से लिखते थे। तुषार मेहता ने भी सिंघवी की बातों से हामी भरी।

कोरोना ने थोप दिया लैपटॉप!

केंद्र बनाम दिल्ली की सुनवाई के बीच जोरदार बहस चल रही थी। चीफ जस्टिस ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि कोविड महामारी ने हम पर लैपटॉप थोप दिया। इस पर जस्टिस शाह ने कहा कि हमें भी कहीं एक जगह स्थिर होने के बजाए बदलते समय के साथ बदलना चाहिए।

Compiled: up18 News