मालाबार गोल्ड एंड डायमंड ने वापस लिया करीना वाला विज्ञापन, अब तमन्ना भाटिया आएंगी नज़र

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नई दिल्‍ली। अक्षय तृतीया हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है। हिंदू परंपरा के अनुसार इस दिन काफी मात्रा में सोना खरीदा जाता है परंतु इस निमित्त मालाबार गोल्ड एंड डायमंड ने अक्षय तृतीया के नाम पर जो विज्ञापन प्रसारित किया, वह ‘रमजान’ पर दिया जाने वाला विज्ञापन जैसा लगा क्‍योंकि अभिनेत्री करीना कपूर खान के मस्तक पर कुमकुम अथवा बिंदी न लगाकर आभूषणों का विज्ञापन किया।

हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा कि इस प्रकार से हिंदू समाज की भावनाएं आहत करने, हिंदू संस्कृति का हनन करने का प्रयत्न किया गया। हिंदू त्योहारों के समय भी यदि हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का, संस्कृति का, परंपराओं का सम्मान नहीं किया जाता तो हिंदुओं को भी इन उत्पादनों का बहिष्कार करना चाहिए।
उक्‍त आधार पर इसका विरोध करने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति ने #No_Bindi_No_Business यह हैशटैग चलाते हुए ट्वीटर पर अभियान छेड़ा था। इसका हिंदुओं ने व्यापक प्रतिसाद किया। दूसरे दिन ही ‘मालाबार गोल्ड’ ने बिंदी न लगाई हुई करीना कपूर-खान के स्थान पर बिंदी लगाई हुई अभिनेत्री तमन्ना भाटिया का नया विज्ञापन प्रसारित किया। यह हिंदुओं का संगठित होकर किए हुए विरोध का परिणाम है।

हिंदू संस्कृति-परंपरा का सम्मान करना होगा

रमेश शिंदे ने कहा कि हिंदुओं का पैसा चाहिए परंतु हिंदू संस्कृति-परंपरा नहीं, यह नहीं चलेगा। देश में व्यापार करना है तो हिंदू संस्कृति-परंपरा का सम्मान करना ही पड़ेगा। हिंदू संस्कृति का सम्मान नहीं रखा जा रहा हो, तो हिंदू समाज बहिष्कार अस्त्र का उपयोग करेगा, यह प्रतिष्ठानों को ध्यान में रखना चाहिए।

ऑनलाइन संवाद में हुई आलोचना

इस संदर्भ में हिंदू जनजागृति समिति ने ‘हिंदू त्योहारों के समय हिंदूविरोधी प्रचार ?’ विषय पर ऑनलाइन ‘विशेष संवाद’ आयोजित किया था। इसमें सम्मिलित इतिहास और संस्कृति अध्ययनकर्ता अधिवक्ता सतीश देशपांडे ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में वामपंथी विचारधारा के लोगों को राजाश्रय मिलने के कारण उन्होंने विविध विश्वाविद्यालय स्थापित कर हिंदूविरोधी विचारधारा का समाज में रोपण किया। उसी का परिणाम है कि आज बिंदी अथवा कुमकुम न लगाए हुए विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। उसका अभ्यासपूर्ण विरोध करना चाहिए।

कर्नाटक की पत्रकार श्रीलक्ष्मी राजकुमार ने कहा कि हिंदुओं की पहचान मिटाने के लिए प्रारंभ किया गया यह ‘सांस्कृतिक जिहाद’ है। आज खाड़ी देशों में वहां की महिला पत्रकार हिजाब धारणकर समाचार देती हैं। तब भारत में मस्तक पर कुमकुम लगाना प्रतिगामिता कैसे हो सकती है ? हमारी धार्मिक क्रियाओं के पीछे का विज्ञान हिंदुओं तक पहुंचना चाहिए।

-up18 News


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