जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर थे भगवान महावीर, जन्मोत्सव पर राष्‍ट्रपति व पीएम ने दी बधाई

Religion/ Spirituality/ Culture

भगवान महावीर का परिचय

भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर माने जाते हैं। इनका जन्म कुण्डग्राम में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर में हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। इन्होंने 30 वर्ष की आयु में अपने बड़े भाई से आज्ञा लेकर राजसी सुखों का त्याग कर तप का आचरण किया। भगवान महावीर ने गृहत्याग के 13वें महीने में स्वर्णबालुका नदी के तट पर अपने वस्त्र त्यागे। 12 साल की कठोर तपस्या के बाद इन्होंने अपनी इच्छाओं और विकारों पर नियंत्रण पा लिया और इनको कैवल्य की प्राप्ति हुई। इस कठोर तप को करने के कारण वर्धमान महावीर कहलाए।

भगवान महावीर के पांच सिद्धांत

भगवान महावीर ने अपने जीवनकाल में अहिंसा और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का प्रचार किया। साथ ही मनुष्य को सभी जीवों का सम्मान और आदर करना सिखाया। भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए पांच नियम स्थापित किए, जिन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से जानते हैं। ये पांच सिद्धांत- अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, सत्य और अपरिग्रह है।

महावीर जयंती का महत्व

जैन संप्रदाय के लोगों के लिए महावीर जयंती बहुत ही खास मानी जाती है। महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग प्रभात फेरी, अनुष्ठान और शोभायात्रा निकालते हैं। महावीर जयंती के दिन भगवान महावीर की पूजा की जाती है और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण करके उनके बताए गए सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया जाता है। साथ ही इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

महावीर जयंती पर राष्ट्रपति ने दी बधाई

महावीर जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सभी देशवासियों, विशेषकर जैन समुदाय के लोगों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा – “भगवान महावीर ने सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह की शिक्षा देकर मानवता को राह दिखाई। सभी देशवासी, अहिंसा को आचरण में ढालें, प्राणियों के प्रति करुणा का संकल्प लें तथा प्रकृति का संरक्षण करें।”

पीएम मोदी ने भी किया नमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महावीर जयंती पर भगवान महावीर को नमन करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने शांतिपूर्ण, सौहार्दपूर्ण और समृद्ध समाज के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा- “आज एक विशेष दिन है, जब हम भगवान महावीर की उत्कृष्ट शिक्षाओं को याद करते हैं। उन्होंने एक शांतिपूर्ण, सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध समाज के निर्माण का मार्ग दिखाया। उनसे प्रेरणा लेकर, हम सदैव दूसरों की सेवा करें और गरीब एवं पिछड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।”

आज भी प्रासंगिक हैं भगवान महावीर के विचार

आज मानव अपने स्वार्थ के वशीभूत कोई भी अनुचित कार्य करने और अपने फायदे के लिए हिंसा के लिए भी तत्पर दिखाई देता है। ऐसे में ‘अहिंसा परमो धर्म’ का सिद्धांत प्रतिपादित करने वाले भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन आज सर्वाधिक प्रासंगिक और जरूरी प्रतीत होता है। आज के परिवेश में हम जिस प्रकार की समस्याओं और जटिल परिस्थितियों में घिरे हैं उन सभी का समाधान महावीर के सिद्धांतों और दर्शन में समाहित है। भगवान महावीर कहा करते थे कि जिस जन्म में कोई भी जीव जैसा कर्म करेगा, भविष्य में उसे वैसा ही फल मिलेगा।

अपने जीवनकाल में उन्होंने ऐसे अनेक उपदेश और अमृत वचन दिए, जिन्हें अपने जीवन तथा आचरण में अमल में लाकर हम अपने मानव जीवन को सार्थक बना सकते हैं।

महावीर कहते थे कि क्रोध प्रेम का नाश करता है, मान विषय का, माया मित्रता का नाश करती है और लालच सभी गुणों का। जो व्यक्ति अपना कल्याण चाहता है उसे पाप को बढ़ाने वाले इन चारों दोषों क्रोध, मान, माया और लालच का त्याग कर देना चाहिए।

Compiled: up18 News