जानिए क्यों कहा जाता है माउंट एवरेस्‍ट को दुनिया का सबसे ऊंचा कब्रिस्‍तान?

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बस तभी से एवरेस्‍ट फतेह करने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद एक के बाद एक लोगों ने इस शिखर पर पहुंचने में सफलता हासिल की। बता दें कि मांउट एवरेस्‍ट नेपाल में है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है। लेकिन इसे दुनिया का सबसे ऊंचा कब्रिस्‍तान भी कहा जाता है। सुनकर अजीब लगेगा, लेकिन ये सच है।

माउंट एवरेस्‍ट इतना पॉपुलर हो चुका है कि हर साल यहां से 800 पर्वतारोही पहाड़ चढ़ते हैं लेकिन उनमें से सारे जिंदा नहीं लौट पाते। कुछ की लाशें तो वहां बर्फ भी ही दब जाती हैं तो वहीं कुछ लापता हो जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक 1920 के दशक की शुरुआत से माउंट एवरेस्ट पर 330 से अधिक पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। ऐसे में दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ अब धीरे-धीरे कब्रिस्तान में तब्‍दील होता चला जा रहा है।

एंट्री के लिए लेना होता है परमिट

मांउट एवरेस्‍ट के जिस शिखर पर चढ़ाई करनी होती है, वहां तक पहुंचने के लिए परमिट लेना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि माउंट एवरेस्‍ट जाने वाला रास्‍ता नेपाल से होकर गुजरता है। नेपाल सरकार भारतीय लोगों को 1500 नेपाली रुपए में एंट्री परमिट देता है। इसकी चढ़ाई करने में लाखों का खर्च आता है।

आखिर क्‍यों होती हैं एवरेस्‍ट पर मौतें

माउंट एवरेस्‍ट एक ऐसी जगह है, जहां से लोगों की लाशें तक वापस नहीं आ पातीं। यहां लाशें बर्फ में ही दफन हो जाती हैं। इसके कई कारण हैं। कई बार लोग फ्रॉड में फंस जाते हैं तो कई बार सस्ता परमिट लेने और फिटनेस की पुख्ता जांच न होने के चलते लोग एक्सपीडिशन कंपनियों को पैसा देकर बिना किसी अनुभव के एवरेस्ट पर निकल जाते हैं।

इंसानी शरीर सहन नहीं कर सकता ज्‍यादा ऊंचाई

क्‍या आप जानते हैं कि इंसानी शरीर ज्‍यादा ऊंचाई वाली जगहों के लिए नहीं बना है। माउंट एवरेस्ट जितना ऊंचा है, शरीर उसे झेल नहीं सकता। जैसे-जैसे लोग ऊंचाई पर चढ़ते हैं उन्‍हें उल्‍टियां, चक्‍कर और बेहोशी आने लगती है। इतनी ऊंचाई पर सिलेंडर में बची एक एक मिनट की गैस भी बेशकीमती लगती है। इस दौरान लोगों के मन में यही डर रहता है कि अगर गैस खत्‍म हो गई तो वो कैसे जीवित रह पाएंगे।

आ जाती है दिमाग में सूजन

सबसे बड़ी समस्‍या दिमाग के साथ होती है। सेरेब्रल एडीमा से दिमाग में सूजन आ जाती है जिससे कभी-कभी व्‍यक्ति मानसिक संतुलन भी खो सकता है। बता दें कि अब तक हजारों लोग माउंट एवरेस्ट पर गए हैं लेकिन उनमें से कितनों की लाशें वहां दबी पड़ी होंगी, कोई नहीं जानता।

-एजेंसी