जानिए! कौन से देवता की करनी चाहिए कितनी परिक्रमा?

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जब भी हम मंदिर में प्रवेश करते हैं तब ईश्वर की मूर्ति को प्रणाम करके उसके चारों ओर परिक्रमा करते हैं लेकिन बहुत से भक्त इस बात को लेकर संशय में रहते हैं कि किस देवता की कितनी परिक्रमा करना शास्त्रों के अनुसार उचित माना गया हैं। इसलिए आज हम आपको किस देवी-देवता की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए, इसके बारे में बताएँगे।

किस देवता की करें कितनी बार परिक्रमा

परिक्रमा करने की प्रक्रिया सभी के लिए एक समान हैं केवल शिवलिंग को छोड़कर। अन्य सभी परिक्रमा में आपको गर्भगृह से परिक्रमा शुरू करके, चारों ओर घूमते हुए पुनः गर्भगृह पर पहुंचना होता हैं जबकि शिवलिंग की परिक्रमा करते समय सोमसुत्र को लांघे बिना, पुनः उल्टे मुड़ जाना होता हैं।

आइए जाने ग्रंथों के अनुसार किस देवता की कितनी परिक्रमा करें।

शिवलिंग- आधी प्रदक्षिणा (सोमसुत्र को लांघे बिना)
माँ दुर्गा- एक प्रदक्षिणा
भगवान गणेश- तीन प्रदक्षिणा
भक्त हनुमान – तीन प्रदक्षिणा
भगवान विष्णु- चार प्रदक्षिणा
सूर्य देवता- सात प्रदक्षिणा
पीपल का पेड़– 108 प्रदक्षिणा

शास्त्रों में केवल ऊपर दिए गए भगवानों की परिक्रमा करने का वर्णन दिया गया हैं। इसके अनुसार हमे बाकि देवी-देवताओं की कितनी बार परिक्रमा करनी चाहिए, के बारे में जानेंगे।

देवी माँ के अन्य रूप- एक प्रदक्षिणा
श्रीराम या श्रीराम दरबार- चार प्रदक्षिणा
श्रीकृष्ण या राधा-कृष्ण- चार प्रदक्षिणा
भगवान विष्णु के अन्य अवतार- चार प्रदक्षिणा

इसी के साथ शास्त्रों में जिन देवी-देवताओं की परिक्रमा का उल्लेख नही दिया गया हैं, उनकी आप विधिवत रूप से तीन परिक्रमा कर सकते हैं।

आत्म प्रदक्षिणा या आत्म परिक्रमा

किसी-किसी मंदिर या गर्भगृह में प्रदक्षिणा पथ या परिक्रमा मार्ग नही बना होता हैं। ऐसे स्थिति में आप गर्भगृह के सामने खड़े होकर दक्षिणावर्त गोल घूमे, इसे आत्म-प्रदक्षिणा कहा जाएगा। इसे भी परिक्रमा का ही एक रूप माना गया है।

-एजेंसी