आज दिए अपने एक फैसले में केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा राज्य के एक विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केरल सरकार के बीच चल रहे विवाद के दौरान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के लिए यह एक बड़ा झटका है।
उच्च न्यायालय ने केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज के कुलपति के रूप में डॉ रिजी जॉन की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। अदालत ने नियुक्ति को अवैध करार देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया है। यूजीसी शिक्षा मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है जो पूरे देश में उच्च शिक्षा संस्थानों के कामकाज की देखरेख करता है।
सीएम पिनराई विजयन क्यों लगा झटका?
अदालत ने फैसला सुनाते हुए विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति जोकि राज्यपाल खान हैं को यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुरूप एक नया कुलपति नियुक्त करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट का यह फैसला तब आया है जब राज्यपाल ने पिछले महीने डॉ जॉन सहित नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से उनकी नियुक्तियों में यूजीसी के मानदंडों के कथित उल्लंघन को चिह्नित करते हुए पद छोड़ने के लिए कहा था। राज्यपाल का यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है जिसमें केरल में एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी। इस मामले को लेकर राज्यपाल और सरकार के बीच तकरार भी देखने को मिली थी।
राज्यपाल और सरकार का आमना सामना
कोर्ट ने कहा कि यूजीसी के नियमों के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा गठित एक सर्च कमेटी को विश्वविद्यालय के शीर्ष पद के लिए राज्यपाल को तीन नामों की सिफारिश करनी चाहिए। एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मामले में हालांकि केवल एक नाम की सिफारिश की गई थी।इसके तुरंत बाद राज्यपाल खान ने नौ राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पद छोड़ने का निर्देश दिया। इससे केरल में विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच आमना-सामना शुरू हो गया था।
इस महीने की शुरुआत में राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने के लिए एक अध्यादेश विशेष आदेश लाने के लिए मतदान किया था। केरल के कानून मंत्री राजीव ने तब कहा था कि वे राज्यपाल की शक्तियों को कम करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।
उन्होने कहा था कि हमारे पास राज्यपाल की शक्तियों को कम करने की कोई शक्ति नहीं है। यह एक संवैधानिक प्राधिकरण है, जिसके कार्यों को संविधान में अच्छी तरह से समझाया गया है। हमने जो किया है वह हमने कुलाधिपति की नियुक्ति पर एक अध्यादेश को अपनाया है। कैबिनेट के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल खान ने कहा था कि अगर अध्यादेश राजभवन भेजा गया तो वह इसे राष्ट्रपति के पास भेज देंगे।
-एजेंसी
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