केदारनाथ धाम के कपाट खुले, बद्रीनाथ के कपाट खोलने की तैयारियां जोरों पर

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अक्षय तृतीया के मौके पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा प्रारंभ हो गई है। छह महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज सुबह 7 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और विधि विधान के साथ आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

भगवान केदारनाथजी की पंचमुखी डोली गुरुवार शाम सेना के बैंड की भक्तिमय जयघोष के साथ श्री केदारनाथ धाम पहुंची थी, इसके बाद आज सुबह से केदारनाथ भगवान भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बद्रीनाथ के कपाट आगामी 12 मई को खोलने की तैयारियां भी जोरों पर हैं।

20 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर

आज सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए हैं और 12 बजकर 20 मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट खुले। केदारनाथ मंदिर को 20 क्विंटल फूलों से भव्य रूप में सजाया गया है। केदारनाथ धाम पहुंचे श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि कपाटोद्घाटन की पूर्व संध्या पर केदार मंदिर को फूलों से सजाया गया।

केदारनाथ भगवान के दर्शन के लिए देश- विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु डोली यात्रा के साथ केदारनाथ पहुंचे है। गुरुवार शाम तक करीब पांच हजार श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंच चुके थे। इस मौके पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।

दर्शन मात्र से समस्त पापों का होता है नाश

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम भगवान शिव का पवित्र स्थल है। केदारनाथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बताया गया है। हर साल यहां लाखों की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं।

केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है। यह वही स्थान है, जहां भगवान शिव का कूबड़ प्रकट हुआ था। केदारनाथ धाम की गणना भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग और पंच केदार में भी की जाती है। साथ ही यह छोटा चार धाम में से एक है।

चार धाम यात्रा शुरू

दीपावली के दूसरे दिन शीत ऋतु में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और मंदिर के अंदर 6 माह तक दीपक जलता रहता है। केदारनाथ रावल ससम्मान पट बंद करने के बाद केदार भगवान के दंडी और विग्रह को 6 माह तक पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाते हैं। इसके बाद 6 महीने बाद अक्षय तृतीया के मौके पर केदारनाथ धाम समेत गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोल दिए जाते हैं और इसी के साथ चार धाम यात्रा प्रारंभ हो जाती है।

-एजेंसी