झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान विश्वास मत हासिल कर लिया। गठबंधन सरकार के पक्ष में 48 वोट पड़े जबकि भाजपा ने सदन से वॉक आउट कर दिया। इसके पहले सदन में सीएम सोरेन ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया और इसके बाद चर्चा के दौरान भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा पर हॉर्स-ट्रेडिंग का आरोप लगाया। उधर सदन में विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते रहे।
एक दिन पहले रविवार को यूपीए के विधायक विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेने के लिए रायपुर से रांची पहुंचे थे। सीएम सोरेन ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में पहले ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कथित तौर पर सरकार गिराने के लिए भाजपा द्वारा उसके विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के कारण सीएम हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायकों को नए रायपुर के एक आलीशान रिजॉर्ट ले जाया गया था, जहां से रविवार को सभी विधायक रांची लौट आए।
झारखंड के विधायक 30 अगस्त से रायपुर के पास एक रिजॉर्ट में डेरा डाले हुए थे। रविवार को सभी विधायक वापस रांची पहुंच गए हैं और वे विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेंगे। रविवार को सीएम हेमंत सोरेन ने विपक्षी दल पर निशाना साधा था और कहा था कि जो जाल विपक्ष ने बिछाए हैं, उसी में लपेटकर उन्हें बाहर कर दिया जाएगा। हेमंत सोरेन ने रविवार को विधायकों के साथ बैठक भी की थी।
दूसरी तरफ विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि हेमंत सोरेन को एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए कि उन्होंने खुद को खनन पट्टा देकर चुनावी मानदंडों का उल्लंघन किया है। पार्टी ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री का नैतिक आधार पर इस्तीफा भी मांगा है।
राज्यपाल कभी भी ले सकते हैं सीएम सोरेन पर फैसला
वहीं, सोरेन और उनकी पार्टी झामुमो ने भाजपा पर सियासी संकट का फायदा उठाने की कोशिश करने और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश-कर्नाटक के पैटर्न पर एक चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को लुभाने का आरोप लगाया है। बता दें कि चुनाव आयोग ने राज्यपाल को अपनी राय सौंप दी है, जो किसी भी दिन सीएम सोरेन पर अपने फैसले कर सकते हैं। इस बीच, झारखंड में सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
-एजेंसी