पाकिस्तान: FATF की शर्तें ताक पर, जिहाद के लिए जैश-ए-मोहम्मद खुलेआम मांग रहा है धन

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स्थानीय निवासियों के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य कथित तौर पर इस साल अप्रैल में खैबर पख्तूनख्वा में पेशावर के बाहरी इलाके बाग-ए-नारन में कश्मीर और फिलिस्तीन में जिहाद करने के लिए धन की मांग कर रहे थे.

पाकिस्तान के कई ट्विटर यूजर्स ने तब से इस ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की है कि चरमपंथी समूहों द्वारा इसी तरह की धन उगाहने वाली गतिविधियां अन्य क्षेत्रों में भी हो रही थीं. उनमें से कई ने कहा कि ये धन उगाहना कई मस्जिदों में नियमित तौर पर और कभी-कभी तो सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में होता है.

यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो ट्विटर पर कई ऐसे बयान थे जो ये बताते हैं कि आतंकवादी समूह कराची की मस्जिदों में खुले तौर पर जिहाद के लिए धन की मांग करते हैं. जैश-ए-मोहम्मद द्वारा ईद के मौके पर जिहाद के लिए चंदा जुटाना स्पष्ट रूप से साबित करता है कि पाकिस्तान आतंकवादी फंडिंग को कम करने के लिए एफएटीएफ से किए गए अपने वादे को पूरा करने में विफल रहा है.

यूरोपियन टाइम्स के अनुसार जून 2021 में एफएटीएफ ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश और इसी तरह के आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकामी का हवाला देते हुए पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट से बाहर करने से मना कर दिया था.

एफएटीएफ ने कहा था कि उसे सौंपे गए 27 कार्यों में से 26 को पूरा करने के बावजूद, आतंकवादियों और आतंकी संस्थाओं को दोषी ठहराने के अंतिम कार्य को पूरा करने में पाकिस्तान की विफलता का मतलब है कि उसे अभी के लिए सूची से बाहर नहीं किया जाएगा.

हकीकत तो यह है कि जैश उस वक्त भी सक्रिय था जब पाकिस्तान को पिछले साल एफएटीएफ द्वारा प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया गया था. यूरोपियन टाइम्स ने बताया कि जैश ने बहावलपुर में अपने विशाल जामा-ए-मस्जिद सुभानल्लाह मुख्यालय में बड़े पैमाने पर निर्माण किया।

पाकिस्तान ने एफएटीएफ के सामने अपनी गवाही में दावा किया था कि 2001 में नई दिल्ली में संसद भवन पर समूह के हमले के कुछ महीनों के भीतर ही जैश को 2002 से प्रतिबंधित कर दिया गया था.

पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाला गया था. हालांकि, वैश्विक कार्यबल ने अक्टूबर 2022 में आतंकवादी वित्त पोषण और धन शोधन से निपटने तथा अपने मौजूदा निगरानी तंत्र में सुधार लाने की पाकिस्तान की ‘उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धता’ के कारण उसे ग्रे सूची से बाहर कर दिया था. पेरिस स्थित एफएटीएफ आतंकवादी वित्त पोषण और धन शोधन पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था है. उसकी ग्रे सूची में बढ़ी हुई निगरानी के अधीन देश शामिल होते हैं.

Compiled: up18 News