कहते हैं इन मंदिरों में दर्शन करने से पूरी होती है लव मैरिज की मनोकामना

Religion/ Spirituality/ Culture

श्री सिष्ट गुरु नाथेश्वर मंदिर

श्री सिष्ट गुरु नाथेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में थिरुथुरैयूर नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में पीठासीन देवता भगवान शिव को श्री सिष्ट गुरुनाथेश्वर, पसुपतिश्वरर और थवानेरी आलुदयार के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि विवाह में आ रही बाधा हो या विवाह में देरी हो रही हो तो इसके लिए इस मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। प्रेम विवाह करने वाले युगल के लिए यहां मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। श्री सिष्ट गुरु नाथेश्वर मंदिर में सुबह 9 बजे से पूजा अर्चना शुरू होती है। विवाह के लिए पूजा कराने वाले कपल्स को 8 बजे तक मंदिर में पहुंचना होता है।

श्री वेदपुरेश्वर मंदिर

केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में वेदपुरीश्वरर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। वास्तुकला की द्रविड़ शैली में निर्मित मंदिर को 1748 में फ्रांसीसी सैनिकों ने तबाह कर दिया था। यहां भगवान शिव को वेदपुरीश्वर और उनकी पत्नी पार्वती को त्रिपुर सुंदरी के रूप में पूजा जाता है। यहां मान्यता है शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां सूर्य की किरणें हर साल मार्च और अप्रैल माह में ही मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करती है। इस मंदिर की शासक देवी मंगायरकारसी हैं, जिसका अर्थ है महिलाओं के बीच राजकुमारी। धार्मिक मान्यता है कि मनचाहे वर से शादी करने के लिए युवतियों को यहां देवी पर चंदन का लेप के साथ साड़ी और थाली अर्पित करना पड़ता है।

श्री मंगलेश्वर मंदिर

तिरुचिरापल्ली जिले से 22 किमी दूर लालगुडी गांव के पास यह प्रसिद्ध मंदिर है। प्रेम विवाह की इच्छा रखने वाले हजारों कपल यहां मंदिर में दर्शन के लिए हर साल पहुंचते हैं। धार्मिक मान्यता है कि जिन युवतियों का जन्म उत्तरा नक्षत्र में हुआ है, उन पर इस मंदिर में दर्शन करने पर विशेष कृपा बरसती है। पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से ही विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती है। इस मंदिर के पास ही ‘मंगल्या महर्षि’ नाम के एक ऋषि का भी मंदिर है, जिनका जन्म उत्तरा नक्षत्र में ही हुआ था।

श्री कल्याण सुंदरेश्वर मंदिर

नागपट्टिनम जिले में थिरुमानंचेरी नाम के स्थान के पास श्री कल्याण सुंदरेश्वर मंदिर है। इस मंदिर में भी विवाह संबंधित दोषों को दूर करने के पूजा की जाती है। दरअसल इस मंदिर का नाम थिरुमानम और चेरी तमिल शब्द है. जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘विवाह’ और ‘गांव’। यहां मान्यता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से इसी स्थान पर विवाह रचाया था। ऐसा कहा जाता है कि देवी पार्वती को श्राप मिला था और इसके बाद देवी पार्वती का ऋषि भरत मुनि के आश्रम में एक इंसान के रूप में पृथ्वी पर जन्म हुआ और बाद में भरत मुनि ने भगवान शिव से अपनी बेटी की शादी करने का अनुरोध किया। इस मंदिर में दर्शन करने से भी लव मैरिज जल्द होती है।

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Compiled: up18 News