अगर आप प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक तीर्थाटन और खूबसूरत भव्य वास्तुकला सभी से एक ही स्थान पर रूबरू होना चाहते हैं तो कर्नाटक में स्थित हम्पी ऐसी ही एक जगह है। यह स्थान अपने खंडहरों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। जब उत्तर भारत में मुगल साम्राज्य का दौर था, तब यहां विजयनगर साम्राज्य था। विजयनगर के सबसे प्रतापी राजा कृष्णदेवराय थे और तेनालीराम इन्हीं के दरबार में दरबारी थे।
हम्पी और इसके आसपास का पूरा क्षेत्र भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है और यह एक विश्व विरासत स्थल भी है। यहां के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है विरुपाक्ष मंदिर। मंदिर के सामने एक लंबा व काफी चौड़ा रास्ता है, जिसके दोनों तरफ खड़े खंभे और इन पर टिकी छतें देखने योग्य हैं। कहते हैं कि पहले यह सोने-चांदी का एक बड़ा बाजार हुआ करता था। इसके सामने मातंग पर्वत है, जिसे अब मटंगा या माटुंगा पर्वत भी कहा जाने लगा है।
विरुपाक्ष मंदिर का गोपुरम यानी प्रवेश द्वार इतना भव्य है कि इससे नजरें हटाना मुश्किल होता है। यहां कई मंदिर हैं, जिनमें नरसिंह व गणेश मंदिर प्रमुख हैं। पास में ही हजारा राम मंदिर है। इसमें पत्थरों को छैनी व हथौड़ों से काटकर पूरी रामायण उकेरी गई है। राम विवाह, जंगल में उनका निर्वासन, सीता जी का अपहरण, राम-रावण युद्ध को बारीकी से पत्थरों पर उकेरा गया है। इस मंदिर में जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जाएंगे, आपके सामने मूर्तिकला के माध्यम से पूरी रामायण चलती रहेगी।
विजयनगर साम्राज्य की सीमा अरब सागर से लगी हुई थी और यह अत्यधिक उन्नत साम्राज्य था, इसलिए यहां अरब व यूरोपियन यात्री व व्यापारी भी आते थे। हम्पी के कुछ मंदिरों में अरब व यूरोपियन यात्रियों और उनकी वेषभूषा आदि को भी उकेरा गया है।
विट्ठल मंदिर
इससे कुछ आगे बढ़ेंगे तो तमाम खंडहर देखते-देखते आप पहुंच जाएंगे विट्ठल मंदिर। इसी मंदिर में पत्थरों का बना वो रथ है, जो अब हम्पी की पहचान बन चुका है। इसी मंदिर के फोटो को 50 रुपए के नोट पर भी लगाया गया है। हम्पी के पास ही एक पर्वत है, जिसे अंजनाद्रि पर्वत कहते हैं। कहते हैं कि यहीं पर हनुमान जी का जन्म हुआ था। कुछ दूर सड़क से जाने के बाद आप हनुमानहल्ली पहुंचते हैं। हनुमानहल्ली से अंजनाद्रि पर्वत तक जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। ऊपर पहुंचकर मंदिर के दर्शन करने के साथ-साथ चारों तरफ का विहंगम नजारा भी दिखता है।
तुंगभद्रा नदी
हम्पी के पास से तुंगभद्रा नदी बहती है। नदी किनारे पत्थरों पर व चट्टानों पर बैठकर यहां की शांति व ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है। नदी में गोल टोकरे जैसी नावों में बैठकर नौकायन का आनंद भी लिया जा सकता है। इन नावों को कोरेकल कहते हैं।
कैसे पहुंचें?
हम्पी का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन होसपेट है, जो केवल 12 किमी दूर है। नजदीकी हवाई अड्डा हुबली में है, जो 170 किमी दूर है। इनके साथ-साथ यह बेंगलुरु, गोवा और हैदराबाद से भी सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है।
कहां ठहरें?
चूंकि हम्पी पूरी तरह पुरातत्व विभाग के अधीन है और निर्माण संबंधी कार्य नहीं किए जा सकते, तो बड़े होटल व रिसॉर्ट नहीं हैं। हम्पी में कुछ होम-स्टे हैं, जहां पारंपरिक घरों में ठहरा जा सकता है और स्थानीय भोजन का आनंद लिया जा सकता है। होटल व रिसोर्ट 12 किलोमीटर दूर होसपेट में हैं।
Compiled: up18 News