फेक ‘प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ रैंकिंग को लेकर अब अपनी आवाज बुलंद करेगा भारत

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भारत ने इस तरह की रैंकिंग का एजेंडा से प्रभावित करार दिया है. भारत का कहना है कि ये ‘नव उपनिवेशवादी’ रैंकिंग हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ भारत के प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत ने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाना शुरू कर दिया है.

उन्होंने कहा कि “ये सूचकांक ‘उत्तरी अटलांटिक में थिंक टैंकों’ के एक छोटे समूह की ओर से तैयार किए जाते हैं. इन्हें तीन या चार फंडिंग एजेंसियां प्रायोजित करती हैं, जो हमारी दुनिया को एजेंडे को प्रभावित करने वाली होती हैं.”

उन्होंने कहा, ”ये न सिर्फ व्यापक तरीके से नैरेटिव बनाती हैं बल्कि इसका असर किसी देश के कारोबार, निवेश और दूसरी गतिविधियों पर पड़ता है.”

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान से भी नीचे चला गया है. वहीं एकेडेमिक फ्रीडम इंडेक्स में ये पाकिस्तान और भूटान से भी नीचे है.

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नाम का संगठन बनाता है जबकि एकेडेमिक फ्रीडम इंडेक्स वी-डेम इंस्टीट्यूट बनाता है. सान्याल ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ सालों के दौरान वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड बैंक फोरम और यूनडीपी जैसे ग्लोबल संस्थाओं की बैठक में इस तरह ग्लोबल इंडेक्स बनाने में होने वाली गलतियों का मुद्दा उठाया है.

Compiled: up18 News