भारतीय-अमेरिकी पत्रकार और वैश्विक मामलों के जानकार फरीद जकारिया ने रूस- यूक्रेन जंग और इसके दुनियाभर में असर को लेकर अहम बातें कही हैं। जकारिया ने कहा कि भारत रूस के साथ-साथ पश्चिम के साथ संबंध रखने में सक्षम होगा, क्योंकि भारत कोल्ड वॉर के दौर की तुलना में फिलहाल बहुत अधिक शक्तिशाली है।
पश्चिमी देशों के भारत पर रूस के खिलाफ बोलने के लिए दबाव बना रहे हैं। इसके बावजूद भारत अब तक तटस्थ रुख अपनाया है। भारत ने UN में रूस के खिलाफ वोटिंग से भी परहेज किया है। जकारिया ने ये बातें इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कही है।
चीन से सावधान रहने की जरूरत
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को उस तरह का चुनाव करना होगा जैसा कि कई देशों ने कोल्ड वॉर के दौरान किया। जकारिया ने कहा- मुझे नहीं लगता कि भारत वैसे ही प्रेशर का सामना कर रहा है, क्योंकि यह आज कोल्ड वॉर के समय की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली देश है। भारत पश्चिम के साथ अच्छे संबंध बनाए रखते हुए रूस के साथ भी उचित संबंध रखने में सक्षम होगा।
हालांकि, जकारिया ने कहा कि भारत को चीन और रूस के साथ उसके घनिष्ठ संबंधों से सावधान रहने की जरूरत है। चीन की बढ़त भारत की सिक्योरिटी और राष्ट्रीय हित के लिए खतरा है। 30-40 साल तक एक ही फॉरेन पॉलिसी रखने का का कोई मतलब नहीं है। भारत के लिए मेरा यही कहना है कि यह देश अपने राष्ट्रीय हित को देखते हुए काम करे।
चीन का रूस का व्यवहारिक समर्थन करने में असफल
ऐसे हालात में जहां चीन रूस का एक जूनियर पार्टनर है। इंडिया को देश हित में फैसले लेने चाहिए। रूस- यूक्रेन जंग में चीन की भूमिका को लेकर जकारिया ने कहा- चीन ने रूस का समर्थन तो किया है लेकिन व्यावहारिक तौर पर उसे मिलिट्री इ्क्विपमेंट्स मुहैया कराने में असफल रहा है।
कभी-कभी दिल्ली के एलीट क्लास के लोगों को यह कहते हुए सुनता हूं कि पश्चिम का पतन हो रहा है। पूरब के देशों का उदय हो रहा है और भारत इसमें दांव लगाने जा रहा है। जब आप अपने बच्चों को चीनी यूनिवर्सिटी में भेजना बंद कर देंगे, तभी मैं मानूंगा कि आप वास्तव में इन बयानों पर विश्वास करते हैं। भारत एक सोसायटी के तौर पर खुले लोकतंत्र से निपटने में अधिक कंफर्टेबल है।
जंग के बाद नई वैश्विक व्यवस्था की शुरूआत होगी
फरीद जकारिया ने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमला अमेरिकी में हुए 9/11 के आतंकी हमले से कहीं ज्यादा बड़ी घटना है। कोल्ड वॉर के बाद के दौर में यह सबसे अहम इंटरनेशनल इवेंट है। जिस तरह बर्लिन की दीवार के गिरने से एक नई विश्व व्यवस्था की शुरुआत हुई, यूक्रेन पर रूसी हमले का असर भी ठीक वैसा ही होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोवियत यूनियन को फिर से खड़ा करना चाहते हैं। जकारिया ने कहा- रूस आखिरी मल्टी नेशनल अंपायर है जो जो डिकोलोनाइजेशम के दौर से गुजर चुका है। रूस के लिए यूक्रेन के बिना सबसे महान होने की सोच बेमानी है।
बाइडेन की तारीफ की
जकारिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की तारीफ करते हुए कहा कि जंग के दौरान क्राइसिस को उन्होंने बखूबी हैंडल किया। अमेरिका ने किसी भी देश की तुलना में रूस पर कहीं अधिक प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने कहा कि रूस की इकोनॉमी प्रति व्यक्ति GDP में 20% की गिरावट का सामना कर रही है। रूस जंग की बड़ी कीमत चुका रहा है। लेकिन इससे पुतिन जंग रोकने का ख्याल नहीं बदलने वाले क्योंकि वह एक तानाशाह हैं।
लोकतंत्र से ही विकास संभव है
जकारिया ने कहा, कभी-कभी उदारवादी जनता की राय को चुप कराने और हेरफेर करने में सक्षम होते हैं। हालांकि, लंबे समय में ओपेन सोसाइटीज खुद को मजबूत कर लेती हैं। 1930 के दशक में लोगों ने कहा कि लोकतंत्र समाप्त हो गया है, लेकिन यह गलत साबित हुआ। लोकतंत्र में अधिक स्थिरता और लचीलापन है। भारत एक लोकतंत्र है और यह आगे बढ़ रहा है।
-एजेंसियां
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