यूक्रेन पर यूएन के शांति प्रस्‍ताव को लेकर वोटिंग से फिर दूर रहा भारत

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इसमें यूएन चार्टर के सिद्धांतों के मुताबिक़ यूक्रेन में ‘समग्र, न्यायोचित और स्थायी शांति’ हासिल करने की ज़रूरत को रेखांकित किया गया था.

प्रस्ताव पारित हो गया है. इसके पक्ष में 141 वोट पड़े जबकि ख़िलाफ़ में सात, लेकिन भारत और चीन समेत 32 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. जिन देशों ने यूएन में इस प्रस्ताव पर वोट नहीं किया उनमें भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और ईरान शामिल हैं.

यूक्रेन में स्थायी शांति के लिए 193 सदस्यीय महासभा ने उस मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार किया था, जिसे यूक्रेन और उसके समर्थक देशों ने आगे बढ़ाया था. इसमें कहा गया था कि जितनी जल्दी हो सके यूक्रेन में शांति के लिए एक समग्र, न्यायोचित और स्थायी शांति लाने के कदम उठाए जाएं.

ये प्रस्ताव यूएन चार्टर के सिद्धांतों पर आधारित था. प्रस्ताव में सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से इस मकसद को हासिल करने के लिए सहयोग की अपील की गई थी.

प्रस्ताव में यूक्रेन की उस सीमा के अंदर उसकी संप्रभुता, आज़ादी, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है

इसमें कहा गया है कि रूस बगैर किसी देरी और शर्त के यूक्रेनी इलाकों से पूरी तरह वापस चला जाए.

पिछले साल यूक्रेन (24 फरवरी 2022) पर रूस के हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद और ह्यूमन राइट्स काउंसिल में कई प्रस्ताव लाए गए.

इन प्रस्तावों में यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा की गई थी और यूक्रेन की संप्रभुता,आज़ादी, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया था.

भारत यूक्रेन पर लाए गए प्रस्तावों पर वोटिंग से दूर रहा है. लेकिन उसने हमेशा ये कहा है कि यूएन चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए.

भारत ने यूक्रेन और रूस के बीच दुश्मनी से प्रेरित कार्रवाइयों को तुरंत रोकने के मांग की थी. उसका कहना है कि इस मामले में बातचीत और कूटनीति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

सितंबर 2022 में यूएन के एक उच्चस्तरीय सेशन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत शांति, बातचीत और डिप्लोमेसी के पक्ष में है.

भारत ने लगातार कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष से पूरे ग्लोबल साउथ को काफी नुक़सान उठाना पड़ा है.

इस युद्ध से खाद्यान्न, ईंधन और फर्टिलाइजर की सप्लाई पर असर पड़ा है और विकासशील देशों को इसका खमियाजा भुगतान पड़ रहा है.

Compiled: up18 News